सीपीएम ने पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी को पश्चिम बंगाल से राज्यसभा चुनाव में खड़ा न करने का फैसला किया है। पार्टी का कहना है कि उन्हें जिताने के लिये वह कांग्रेस से समर्थन नहीं ले सकती। इतना ही नहीं वो इस बार कोई प्रत्याशी नहीं खड़ा करेगी।
पार्टी पोलितब्यूरो के एक सदस्य ने कहा, 'सीताराम येचुरी को इस बार राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा। वास्तव में हम किसी को भी नहीं उतार रहे, क्योंकि हमारे पास संख्या बल नहीं है और हम कांग्रेस से समर्थन नहीं लेना चाहते, क्योंकि यह हमारी पार्टी लाइन के खिलाफ जाएगा।'
इसके बावजूद पार्टी की बंगाल इकाई येचुरी को तीसरे कार्यकाल के लिए राज्यसभा भेजना चाहती है, जबकि पार्टी की केरल इकाई इसके विरोध में है।
केरल के मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) पोलित ब्यूरो के सदस्य पिनराई विजयन ने कहा है कि पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी को कांग्रेस के सहयोग से राज्यसभा में लगातार तीसरी बार नहीं जाना चाहिये। यह विचारधारा के खिलाफ है।
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येचुरी का दूसरा कार्यकाल इसी साल अगस्त में खत्म हो रहा है।
विजयन ने साथ ही अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिये इंटरव्यू में कहा कि सीपीआईएम महासचिव के नाते वो (येचुरी) एक सांसद की जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पाएंगे। आपको बता दें की सीपीआईएम ने 2015 में सीताराम येचुरी को पार्टी महासचिव की जिम्मेदारी दी थी।
इंडियन एक्सप्रेस से खास बातचीत करते हुए विजयन ने कहा, 'कांग्रेस के सहयोग से हमारे पार्टी महासचिव को राज्यसभा में भेजना हमारी राजनीतिक विचारधारा के खिलाफ होगा।'
सबसे बड़ी बात यह है कि पार्टी के नियमों के मुताबिक भी पार्टी का कोई नेता दो बार से अधिक राज्यसभा का सदस्य नहीं हो सकता।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी चाहती हैं कि येचुरी राज्यसभा चुनाव में खड़े हों। गौरतलब है कि येचुरी कांग्रेस के समर्थन से ही राज्यसभा पहुंचे हैं।
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वाम मोर्चा के पास 32 विधायकों का समर्थन है, जिसमें माकपा के 26 विधायक पश्चिम बंगाल विधानसभा से हैं, जबकि कांग्रेस के 44 विधायक हैं। कांग्रेस के समर्थन से येचुरी राज्यसभा में निर्वाचित हो सकते हैं।
पश्चिम बंगाल के छह राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल 18 अगस्त को समाप्त हो रहा है, जिनमें येचुरी भी शामिल हैं।
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Source : News Nation Bureau