logo-image

दर्द मरीज का....आंसू डॉक्टर के, कोरोना वॉरियर्स की ये कहानी आपको रुला देगी

डॉ अंबिका कोविद-19 (COVID19) ट्रीटमेंट वार्ड में तैनात हैं. जब पत्रकार इनसे बात करने लगा तो इनके आंखों से आंसू आ गए. वो कहती है कि जब आप अपने घरवालों से बात करते हैं तो आपको भी डर होता है क्‍योंकि दोनों तरफ से कभी कुछ भी हो सकता है.

Updated on: 07 Apr 2020, 12:11 AM

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Coronavirus) दुनिया को तबाह करने में लगा हुआ है. कोरोना वायरस से सीधा मुकाबला हमारे डॉक्टर्स, नर्स और स्वास्थ्य कर्मी कर रहे हैं. वो बिना डरे, बिना रूक इसे खत्म करने में जुटे हुए हैं. मास्क की किल्लत, पीपीई की किल्लत के बावजूद वो हर मोर्च पर डटे हुए हैं. इनके भी परिवार हैं उन्हें भी इनकी फिक्र होती है, कि अस्पताल में वो इलाज कर रहा है कि उसे ना हो जाए. अस्पतालकर्मियों का परिवार भी डटा हुआ है. अगर इसमें से किसी को भी कोरोना हो जाए तो दोनों एक दूसरे से मिल नहीं सकते हैं. चलिए कुछ कोरोना 'कर्मवीरो' से मिलते हैं और उनके एहसास को समझते हैं.

दिल्ली के एम्स (AIIMS) में लगातार कोरोना वायरस के पेशेंट आ रहे हैं. सीनियर, जूनियर डॉक्टर्स मिलकर कोरोना के मरीजों को ठीक करने में जुटे हुए हैं. इन्हीं में एक नाम डॉ अंबिका की है. डॉ अंबिका कोविद-19 (COVID19) ट्रीटमेंट वार्ड में तैनात हैं. जब पत्रकार इनसे बात करने लगा तो इनके आंखों से आंसू आ गए. वो कहती हैं, 'जब आप अपने घरवालों से बात करते हैं तो आपको भी डर होता है क्‍योंकि दोनों तरफ से कभी कुछ भी हो सकता है. हो सकता है वो बीमार पड़ जाएं और आप उनकी केयर ना कर पाएं. उस बात का गिल्‍ट आप कभी बर्दाश्‍त नहीं कर सकते.'

मेरा परिवार कभी नहीं कहता कि जॉब छोड़कर घर आ जाओ, वो बहुत मजबूत हैं

वो आगे बताती हैं कि मेरा परिवार वैसा परिवार है जो खुद को बड़ा मजबूत होने की कोशिश करता है. अभी भी जब वो कॉल करते हैं तो कभी नहीं कहते कि वापस आ जाओ. छोड़ दो, क्‍या रखा है इन सबमें. जान सबसे पहले है. ऐसा कभी मैंने आज तक अपनी जिंदगी में नहीं सुना.

इसे भी पढ़ें:उद्धव ठाकरे के घर के पास COVID-19 का संदिग्ध मिलने के बाद 'मातोश्री' को सील किया गया

इसके बाद डॉक्टर अंबिका कहती है, 'उनका ये मैसेज सिर्फ उनके माता-पिता तक नहीं, भारत के हर इंसान तक पहुंचना चाहिए जिसे यह एहसास नहीं कि फ्रंटलाइन पर मौजूद डॉक्‍टर्स और हेल्‍थ वर्कर्स कैसे मेंटल ट्रॉमा के बीच काम कर रहे हैं.'

मेरी मां कहती है मरीजों की सेवा करता रहूं वो वॉयस मैसेज भेजती हैं

वहीं एम्‍स में काम करने वाले डॉ. अमनदीप ने परिवारवालों की चिंता के बारे में बताया, 'मेरी मां मुझसे बार-बार यही कहती हैं कि मरीजों की सेवा करता रहूं. वह मुझे वॉयस नोट्स भेजकर मेरा हाल पूछती हैं. बड़ा भावुक हो जाता हैं. मैं लोगों से अपील करता हूं कि घरों में ही रहें, तभी हम कोरोना को हरा पाएंगे.'

और पढ़ें:15 अप्रैल को लॉकडाउन खुलने की संभावना कम, इस बड़े अधिकारी ने बताई वजह

हमेशा डर लगा रहता है कि हमारी वजह से इंफेक्शन घरवालों को ना हो जाए

डॉ, अमनदीप की तरह डॉ पवन को भी अपने घरवालों की याद आती है वो उन्हें लेकर चिंता करते हैं. लेकिन बिना रुके वो कोरोना से लोगों को बचा रहे हैं. डॉ पवन कहते हैं, 'कोरोना के वक्‍त भी रेजिडेंट डॉक्‍टर्स को खासा स्‍ट्रेस रह रहा है. ये डर होता है कि गलती से हम इंफेक्‍शन लेकर चले गए तो फिर घरवालों को भी हो जाएगा.'

इसके साथ ही उन्होंने जो इक्विपमेंट्स को लेकर कहा कि जब केस ज्यादा बढ़ने लगेंगे तो इतने उपकरण नहीं मिलेंगे. उन्होंने कहा कि अभी तो शुरुआत है. सबको बड़ा सावधान रहना होगा. केसेज बढ़ना शुरू होंगे तो अभी जितने इक्विपमेंट्स मिल रहे हैं, उतने भी नहीं मिल पाएंगे. हमें गाइडलाइंस का पालन करना चाहिए.