आय से अधिक संपत्ति मामला: कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के CM वीरभद्र और अन्य के खिलाफ जारी किया समन
दिल्ली की एक निचली अदालत ने सोमवार को आय से अधिक संपत्ति मामले में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को समन जारी कर 22 मई तक अदालत के सामने पेश होने के लिए कहा।
नई दिल्ली:
दिल्ली की एक निचली अदालत ने सोमवार को आय से अधिक संपत्ति मामले में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह तथा सात अन्य लोगों को समन जारी कर 22 मई तक अदालत के सामने पेश होने के लिए कहा।
विशेष न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार गोयल ने मामले में वीरभद्र तथा अन्य के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर विचार करने के बाद नोटिस जारी किया। सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) एवं भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था।
अदालत ने पाया कि 28 मई, 2009 से 26 जून, 2012 तक कें द्रीय इस्पात एवं सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम मंत्री ने आपराधिक कदाचार को अंजाम दिया।
अदालत ने कहा कि आरोप-पत्र में पाया गया है कि मंत्री के पास से आय के ज्ञात स्रोत से 10,30,47,946.40 रुपये की अतिरिक्त संपत्ति पाई गई, जो उनके तथा उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर हैं और पूछताछ में वह इन संपत्तियों के संबंध में संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए।
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मामले में वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह के अतिरिक्त जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के एजेंट आनंद चौहान, उनके सहयोगी चुन्नी लाल, जोगिंदर घालटा, प्रेम राज, लवन कुमार रोच, वकमुल्लाह चंद्रशेखर तथा राम प्रकाश भाटिया को नोटिस जारी किया गया है।
कुल 74 पन्नों के आदेश में अदालत ने उल्लेख किया है कि वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह तथा आठ अन्य आरोपियों ने उनकी (वीरभद्र) रकम को अपनी पत्नी, बेटी तथा बेटे के नाम पर निवेश कर अपराध के लिए उकसाया।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि सह-आरोपी प्रतिभा सिंह ने इरादतन काले धन को अपने तथा अपने बच्चों के नाम पर निवेश करने के लिए वीरभद्र सिंह को अपराध करने के लिए प्रेरित किया।
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सीबीआई ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पर आय से अधिक संपत्ति को कृषि आय के रूप में न्यायोचित ठहराने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
प्राथमिक जांच में पाया गया कि साल 2009 से 2012 के बीच केंद्रीय मंत्री रहते हुए वीरभद्र सिंह ने कथित तौर पर 6.03 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की, जो उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक है। इसके बाद 23 सितंबर, 2015 को मुख्यमंत्री के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
अदालत ने कहा कि जांच के दौरान सीबीआई ने वीरभद्र सिंह को पर्याप्त मौका दिया, लेकिन वह अपनी संपत्ति के स्रोत का संतोषजनक जवाब देने में असफल रहे।
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