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रॉबर्ट वाड्रा की अग्रिम जमानत पर कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के अग्रिम जमानत अर्जी पर दिल्ली की एक कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

Updated on: 28 Mar 2019, 07:11 PM

नई दिल्ली:

सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के अग्रिम जमानत अर्जी पर दिल्ली की एक कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इतना ही नहीं कोर्ट ने 1 अप्रैल तक उनकी जमानत अवधि को भी बढ़ा दिया है. रॉबर्ट वाड्रा इन दिनों मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं और इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) उनके खिलाफ जांच कर रहा है. वाड्रा पर मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए लंदन में संपत्ति खरीदने का आरोप है जिससे वो पूछताछ में इनकार करते रहे हैं. इसी मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए वाड्रा ने अग्रिम जमानत ले रखी थी जिसकी अवधि 27 मार्च को खत्म हो रही थी.

कोर्ट में मौजूद वाड्रा के वकील केटीएस तुलसी ने जज से कहा कि वो सभी आरोपों को नकार चुके हैं और वो कोर्ट की तरफ से दी गई जमानत का कोई दुरुपयोग नहीं कर रहे हैं.

इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग के केस में रॉबर्ट वाड्रा को दिल्ली हाई कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने अभी ED की ओर से दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग केस में निचली अदालत में चल रही कार्रवाई पर रोक लगाने से अभी इंकार किया है. कोर्ट ने कहा, अभी वाड्रा की अग्रिम जमानत अर्जी पटियाला हाउस कोर्ट में लंबित है, इसलिए इसमें हाई कोर्ट कोई दखल नहीं देगा. मनी लॉन्ड्रिंग केस खारिज करने की वाड्रा की मांग पर दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 हफ्ते में ईडी को हलफनामा दायर करने को कहा है.

वाड्रा अर्जी में ब्लैक मनी के मामलों को ईडी द्वारा जांच का अधिकार दिए जाने को भी चुनौती दी गई है. वाड्रा की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि जांच को लेकर ईडी के अधिकार को लेकर कई याचिकाएं पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. के टीएस तुलसी ने दलील दी कि वाड्रा को अलग-अलग जांच के नाम पर परेशान किया जा रहा है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग केस को खारिज किए जाने की वाड्रा की मांग कानूनी प्रकिया का दुरुपयोग है. अभी जब वाड्रा को लग रहा है कि वो कानूनी शिकंजे में फंस सकते हैं तो उन्होंने ईडी के जांच के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी है.