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मेजर गोगोई के खिलाफ कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया पूरी : सेना

पत्थरबाजों से निपटने के लिए मानव ढाल बनाने को लेकर चर्चा में आए सेना के मेजर लीतुल गोगोई के खिलाफ कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.

Updated on: 31 Mar 2019, 07:44 PM

नई दिल्‍ली:

पत्थरबाजों से निपटने के लिए मानव ढाल बनाने को लेकर चर्चा में आए सेना के मेजर लीतुल गोगोई के खिलाफ कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. यह जानकारी रविवार को सेना के सूत्रों ने दी.  सूत्रों के अनुसार, एक स्थानीय निवासी महिला से दोस्ती करने को लेकर उनकी वरिष्ठता कम की जा सकती है.  मेजर गोगोई 2017 में विवादों में आए जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में अपनी ड्यूटी के अनुपालन के दौरान पत्थबाजी करने वाली भीड़ से निपटने के लिए एक कश्मीरी युवक को जीप के आगे बांधकर मानव ढाल बनाई थी.

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स्थानीय महिला से दोस्ती करने में मेजर गोगोई की मदद करने वाले उनके ड्राइवर समीर माला को भी कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया का सामना करना पड़ा है.  सूत्रों ने बताया कि उनको बड़ी फटकार मिल सकती है.  मेजर गोगोई और उनके ड्राइवर के खिलाफ फरवरी में साक्ष्य संग्रह पूरा होने के बाद कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू की गई. दोनों को दो आधार पर दोषी पाया गया है. उन्हें निर्देश के विपरीत स्थानीय महिला से दोस्ती करने और सैन्य-अभियान क्षेत्र में कार्यस्थल से दूर होने को लेकर उन्हें दोषी माना गया है.

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मेजर गोगोई को जम्मू-कश्मीर में विद्रोह का सामना करने के लिए राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन में तैनात किया गया था.  पुलिस ने मेजर के साथ उनके ड्राइवर और एक स्थानीय महिला को 2018 में तब हिरासत में लिया था, जब वे एक स्थानीय होटल में गए थे. वहां होटल के मैनेजर ने उन्हें रात्रि विश्राम के लिए कमरा देने से मना कर दिया था.

ह्यूमन शील्ड बनाकर हुए चर्चित

मेजर 2017 में टेरीटोरियल आर्मी में भर्ती हुए. इसके बाद वे राष्ट्रीय राइफल के 53 सेक्टर में तैनात हुए. 9 अप्रैल 2017 को सेंट्रल कश्मीर के बड़गाम निवासी फारूक अहमद डार उपचुनाव में अपना वोट डालने के बाद पड़ोस के गांव में अपने एक रिश्तेदार के यहां हुई मौत के बाद लौट रहे थे. तभी उसे रोक कर उसकी बाइक से उतरने को कहा गया.

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उस इलाके में हुई मौत से नाराज लोग पत्थरबाजी कर रहे थे. इससे बचने के लिए फारूक अहमद डार को सेना की जीप के बोनट पर बांधा गया. करीब 6 घंटे तक डार को कई गांवों में घुमाया गया. यह सब मेजर गोगोई के कहने पर हुआ था. लीतुल ने तब कहा था कि पत्थरबाजों से बचने के लिए सेना का ऐसा करना जरूरी था. इस घटना के बाद मेजर को सम्मानित भी किया गया था.