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सट्टेबाज संजीव चावला को लंदन से भारत लाने की उल्टी गिनती शुरू

गुरुवार को लंदन में इस आशय की जानकारी मीडिया को खुद यूरोपियन मानवाधिकार अदालत के प्रवक्ता ने दी.

Updated on: 07 Feb 2020, 03:00 AM

नई दिल्ली:

यूरोप की मानवाधिकार अदालत ने गुरुवार को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट सट्टेबाज संजीव चावला की भारत वापसी से बचने की आखिरी उम्मीद भी खतम कर दी, यह कहकर कि उसका आवेदन विचार के काबिल नहीं है. चावला ने भारत में अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए कुछ दिन पहले ही मानवाधिकार अदालत की शरण ली थी. मानवाधिकार अदालत पहुंचने का संजीव चावला का अपने भारत प्रत्यर्पण से बचने का इकलौता और अंतिम रास्ता बचा था. गुरुवार को लंदन में इस आशय की जानकारी मीडिया को खुद यूरोपियन मानवाधिकार अदालत के प्रवक्ता ने दी. मीडिया से बात करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि संजीव चावला की अंतरिम राहत पाने की अर्जी को अदालत ने मानने से इंकार कर दिया है.

यूरोपियन मानवाधिकार अदालत के इस कदम से ग्लोबल क्रिकेट सटोरिये संजीव चावला को धक्का लगा है. हालांकि, वहीं दूसरी ओर संजीव चावला को हिंदुस्तान लाने की कोशिशों में दिन रात जुटी दिल्ली पुलिस ने राहत की सांस ली है. दिल्ली पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी ने नाम उजागर न करने शर्त पर गुरुवार रात मीडिया से बात करते हुए माना, "हां, संजीव चावला भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए यूरोप की मानवाधिकार अदालत में पहुंचा था. गुरुवार को अदालत ने उसकी एप्लीकेशन रद्द कर दी. लंदन की अदालत और ब्रिटेन सरकार का गृह मंत्रालय पहले ही संजीव चावला को कानूनी रूप से भी भारत के हवाले करने को तैयार था.

जब संजीव चावला को लगा कि अब ब्रिटेन सरकार और वहां की अदालतों में उसका कोई दांव सही नहीं पड़ रहा है, इसी के बाद उसने आखिरी दांव मानवाधिकार अदालत में जाने का चला था. उस पर भी गुरुवार को मानवाधिकार अदालत ने 'न' की अंतिम कील ठोंककर चावला के भारत प्रत्यर्पण से बचने के सभी रास्ते बंद कर दिए. दिल्ली पुलिस के एक विशेष आयुक्त के आला पुलिस अफसर के मुताबिक, "संजीव चावला के भारत प्रत्यर्पण मामले की फाइलें दुबारा खोली गयीं थीं. यह काम अपराध शाखा के डीसीपी डॉ. जी. रामगोपाल नायक को सौंपा गया था.

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डीसीपी राम गोपाल नायक ने जब संजीव चावला के प्रत्यर्पण से संबंधित और अलमारियों में बंद पड़ी फाइलों को फिर से खंगाला गया तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं. उसके बाद ही क्राइम ब्रांच ने तय किया कि कानूनी रूप से संजीव चावला को भारत लाने में कहीं कोई बाधा नहीं है, सिवाय भारतीय एजेंसियों की इच्छा शक्ति और पुलिस की ईमानदार कोशिशों के. दिल्ली पुलिस अपराध शाखा के सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के एक अधिकारी के मुताबिक, क्राइम ब्रांच की टीमों को संजीव चावला के भारत पहुंचने पर क्या करना है? इसका भी होमवर्क पूरा कर लिया है. गुरुवार को यूरोपियन मानवाधिकार अदालत के फैसले का इंतजार हम लोगों को था. 

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अदालत का फैसला हमारी उम्मीदों के ही मुताबिक आया है. इस फैसले के आते ही गुरुवार को दिल्ली पुलिस अपराध शाखा में हलचल शुरू हो गई. यह पहले ही तय था कि, संजीव चावला को प्रत्यार्पित करा के हिंदुस्तान लाने का जिम्मा डीसीपी क्राइम डॉ. जी. रामगोपाल नायक को ही दिया जाए. लिहाजा डीसीपी राम गोपाल नायक और उनकी टीम इस काम में युद्धस्तर पर जुट गई है. दिल्ली पुलिस अपराध शाखा के एक उच्च पदस्थ और विश्वस्त सूत्र के मुताबिक, "अब सिर्फ और सिर्फ लंदन में चावला को कस्टडी में लेना भर बचा है. संभव है कि चावला को दो-तीन दिन में ही भारत ले आया जाए क्योंकि अब बीच में कहीं कोई बाधा नहीं बची है."