सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को योग गुरु रामदेव और डॉक्टर निकाय के वकीलों के बीच बीच तीखी नोकझोंक पर हस्तक्षेप करना पड़ा। दरअसल कोर्ट रामदेव की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि एलोपैथिक मेडिसीन पर उनके बयान को लेकर दर्ज प्राथमिकी पर कार्यवाही पर रोक लगाई जाए।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और हृषिकेश रॉय ने कहा कि अदालत को रविवार रात करीब 11 बजे मामले से जुड़ी सामग्री मिली।
पीठ ने कहा, हमें बयानों और वीडियो की प्रतियों वाली भारी फाइलें मिली हैं।
शीर्ष अदालत को सोमवार को जांच पर रोक लगाने और उसके खिलाफ मामलों को दिल्ली स्थानांतरित करने की उनकी याचिका पर सुनवाई करनी थी और एलोपैथिक दवा के इस्तेमाल पर रामदेव के बयान के मूल रिकॉर्ड की जांच करनी थी।
रामदेव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ से शुक्रवार को मामले की सुनवाई करने का अनुरोध किया। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता ने प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किल ने रामदेव द्वारा दिए गए सभी बयानों का हवाला देते हुए एक चार्ट बनाया है।
डीएमए ने रामदेव को व्यापारी बताया और दावा किया है कि उनके पास आयुर्वेद का अभ्यास करने और दवाएं लिखने के लिए कोई डिग्री या लाइसेंस नहीं है।
पीठ ने कहा, हम कुछ नहीं कर रहे हैं। हम इसे अगले सप्ताह के लिए पोस्ट कर रहे हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और मामले में प्रतिवादियों में से एक का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एस. पटवालिया ने कहा कि उनके मुवक्किल ने अपने आवेदन में रामदेव के बयान के सभी अंश भी दाखिल किए हैं।
सुनवाई के इस मोड़ पर, रोहतगी ने आवेदन का विरोध किया और कहा, यह सब दाखिल करने में उनकी कोई भूमिका नहीं है।
दत्ता ने खंडन किया, यह मत कहो, हमारी कोई भूमिका नहीं है। आप जो कह रहे हैं (याचिका में) वह सब झूठ है। बेंच ने हस्तक्षेप किया, झगड़ा मत करो। पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर 12 जुलाई को विचार कर सकती है।
रामदेव ने आरोप लगाया कि आईएमए ने देश में अपने विभिन्न अध्यायों के माध्यम से उनके खिलाफ दीवानी और आपराधिक मामलों की बाढ़ ला दी है।
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Source : News Nation Bureau