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Coronavirus Lockdown: लॉकडाउन के दौरान नौकरियां जाने का खतरा बढ़ा, कंपनियां कर सकती हैं छंटनी

Coronavirus Lockdown: औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के प्रावधानों के अनुसार, अगर कर्मचारी 45 दिनों तक काम नहीं करता है तो नियोक्ता उसकी छंटनी कर सकता है.

Updated on: 07 Apr 2020, 10:31 AM

नई दिल्ली:

Coronavirus Lockdown: किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में कारोबार कुछ दिनों तक जारी रखन में लाचार नियोक्ता व कंपनी अपने कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है. औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के प्रावधानों के अनुसार, अगर कर्मचारी 45 दिनों तक काम नहीं करता है तो नियोक्ता उसकी छंटनी कर सकता है. मौजूदा लॉकडाउन के दौरान माना जाता है कि कुछ महीनों तक व्यावसायिक गतिविधियां चालू नहीं हो पाएंगी और कुछ कंपनियां व प्रतिष्ठान अपना काम चालू नहीं कर पाएंगे.

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गुरुग्राम स्थित सेंट्रम स्ट्रेटजिक कंसल्टिंग के अनुपम मलिक ने कहा कि लगता है कि अगले पांच से छह महीने कारोबारी गतिविधियां आरंभ नहीं हो पाएंगी और उसके बाद धीरे-धीरे कंपनियों को पर्याप्त मुनाफा नहीं होगा. औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत दिए कानूनी प्रावधानों व विकल्पों के अनुसार, अगर कोई नियोक्ता अपने कर्मचारी को प्राकृतिक आपदा के कारण काम नहीं दे पाता है तो ऐसी स्थिति में कर्मचारी को कार्य से मुक्त ही समझा जाता है. अधिनियम की धारा-2 (केकेके) के तहत इसे छंटनी की परिभाषा के तहत शामिल किया गया है.

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मलिक ने कहा कि मौजूदा हालात मे न तो कर्मचारी काम पर जा सकता है और न ही उनकी सुरक्षा का भरोसा दिलाया जा सकता है. जाहिर है कि नियोक्ता पर कर्मचारियों के स्वास्थ्य व सुरक्षा की जिम्मेदारी है. साथ ही ग्राहकों के प्रति भी उनकी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि इसलिए मौजूदा लॉकडाउन और कर्फ्यू में कर्मचारी को कार्यमुक्त माना जाता है. अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, अगर 12 महीने की अवधि के दौरान कोई कर्मचारी 45 दिन से अधिक अवधि तक काम नहीं करता है तो उसे 45 दिनों की समाप्ति के बाद उसे किसी प्रकार के मुआवजे का भुगतान नहीं किया जा सकता है बशर्ते इस प्रकार का करार नियोक्ता और कर्मचारी के बीच हो.