Coronavirus (Covid-19): लॉकडाउन के दौरान डाकघरों ने ग्रामीणों के दरवाजे तक पहुंचाया पैसा

Coronavirus (Covid-19): नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कान्त ने कहा है कि भारतीय डाक भुगतान बैंक (India Post Payments Bank-IPPB) ने दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों के दरवाजे तक दक्ष तरीके से वित्तीय सेवाएं पहुंचाई हैं.

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Dhirendra Kumar
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भारतीय डाक भुगतान बैंक (India Post Payments Bank-IPPB)( Photo Credit : फाइल फोटो)

Coronavirus (Covid-19): कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) की वजह से लागू लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) के दौरान भारत ने दूरदराज के क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं की आपूर्ति की चुनौती का काफी अच्छी तरह से सामना किया है. नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कान्त ने कहा है कि भारतीय डाक भुगतान बैंक (India Post Payments Bank-IPPB) ने इस दौरान दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों के दरवाजे तक दक्ष तरीके से वित्तीय सेवाएं पहुंचाई हैं.

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24 मार्च से 23 अप्रैल तक 5.4 करोड़ डॉलर राशि वंचित क्षेत्रों में पहुंचाई
कोविड-19 महामारी के दौरान डिजिटल वित्त ढांचे और भारत से क्या सबक सीखा जा सकता है, विषय पर एक वेबिनार को संबोधित करते हुए अमिताभ कान्त ने कहा कि डाकघरों (Post Office) ने ग्रामीण और बैकिंग सुविधाओं से वंचित क्षेत्रों में 21 लाख लेनदेन के जरिये 24 मार्च से 23 अप्रैल तक 5.4 करोड़ डॉलर या 408 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराईं. नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि देश के 112 आकांक्षी जिलों में प्रौद्योगिकी एक बड़ा बदलाव लाने वाली रही है. एजेंट लेनदेन के लिए कंप्यूटर, मोबाइल फोन और सूक्ष्म एटीएम का इस्तेमाल किया. इस मौके पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि कोविड - 19 महामारी के दौरान देश के समूचे वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र ने मजबूत बैंकिंग प्रणाली के जरिये सरकार से लाभार्थियों के खाते में कोष का स्थानांतरण दक्षता से किया.

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शुक्रवार को कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या 2.28 लाख हुई
देशभर में शुक्रवार को कोविड-19 से संक्रमित मामलों की संख्या बढ़कर 2.28 लाख हो गयी जबकि मरने वालों का आंकड़ा 6500 से अधिक हो गया. एक मई के बाद विशेष ट्रेनों से प्रवासियों के बड़े शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण इलाकों में जाने के कारण ऐसे राज्यों की संख्या दुगनी हो गयी है जहां कोरोना वायरस मामलों की संख्या एक हजार से अधिक है जबकि कुछ ऐसे राज्य भी हैं जहां यह आंकड़ा दस गुना या उससे अधिक बढ़ा है. इस संख्या में इजाफे का कारण सात मई से शुरू हुई वे अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी हैं जिनमें विभिन्न देशों में फंसे प्रवासी भारतीयों को उनके गृह राज्य पहुंचाया गया.

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