कोरोना ने अब तक 400 बार बदला चोला, ओमीक्रॉन के साथ डेल्मीक्रॉन भी फैल रहा
पहली बार अमेरिकी विशेषज्ञों ने भारत के चिकित्सीय संस्थानों के साथ मिलकर एक अध्ययन किया है. यह अध्ययन 54 देशों के 3604 मरीजों पर किया गया था.
highlights
- ओमिक्रॉन के घातक होने का कोई सबूत नहीं मिला है
- कोरोना वायरस का सबसे घातक रूप डेल्टा है
- डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट का मिश्रण है डेल्मीक्रॉन
नई दिल्ली:
दुनियाभर में डेल्टा के बाद अब ओमीक्रॉन (Omicron) का कोरोना वेरिएंट तांडव मचा रहा है. कोरोना वायरस का यह स्वरूप लगभग हर देश में पहुंच चुका है. यूरोपीय देशों में इससे संक्रमित होने वालों की तादात तेजी से बढ़ रही है. अब देश में भी इसके मामले बढ़ने लगे हैं. कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रॉन को लेकर अब तक दुनियाभर में कई अध्ययन हुए हैं, लेकिन पहली बार अमेरिकी विशेषज्ञों ने भारत के चिकित्सीय संस्थानों के साथ रिसर्च की है. इसमें पता चला है कि कोरोना वायरस (Corona Virus) ने अब तक 400 बार अपना स्वरूप बदला है. मगर ओमीक्रॉन के गंभीर मिलने के कोई प्रमाण सामने नहीं आए हैं.
पहली बार अमेरिकी विशेषज्ञों ने भारत के चिकित्सीय संस्थानों के साथ मिलकर एक अध्ययन किया है. इसमें ओमीक्रॉन के घातक होने का कोई सबूत नहीं मिला है. यह अध्ययन 54 देशों के 3604 मरीजों पर किया गया था. कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमिक्रॉन को लेकर अब तक दुनियाभर में कई अध्ययन मिले हैं. मगर यह पहली बार है कि अमरिकी विशेषज्ञों ने भारत के मेडिकल जर्नल मेडरेक्सिव में प्रकाशन से पूर्व समीक्षा में चल रहे इस चिकित्सीय अध्ययन में दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के बायो केमिस्ट्री विभाग से भी विशेषज्ञों ने सहभागिता की है.
यह शोध बीते 10 दिसंबर तक चला. इसमें दिल्ली के भी तीन ओमीक्रॉन संक्रमित मरीज शामिल हुए, जो सबसे पहले यानी पांच से आठ दिसंबर के बीच मिले थे. इस दौरान ओमीक्रॉन की तुलना चीन के वुहान में सबसे पहले मिले कोरोना वेरिएंट से भी की गई थी. साथ ही, इटली में तबाही मचाने वाले बी.1 वैरिएंट से भी हुई.
ऐसे शुरू हुआ अध्ययन
दिल्ली से पटना एम्स पहुंचे वरिष्ठ डॉ.आशुतोष कुमार सिंह का कहना है कि महामारी आने के बाद विश्व के वैज्ञानिकों ने एक जीएसआईडी नामक ऑनलाइन मंच तैयार किया है, जहां सभी तरह के सैंपल और उनकी सीक्वेंसिंग को लेकर जानकारी मिलती है. यहीं से बाकी देशों के सैंपल लिए गए और भारत में कर्नाटक, दिल्ली और महाराष्ट्र से सैंपल लेकर अध्ययन करा गया. उन्होंने कहा कि अभी तक जो साक्षय सामने आए हैं, उनमें कोरोना वायरस का सबसे घातक रूप डेल्टा है.
वैज्ञानिकों को कहना है कि ओमीक्रॉनडेल्टा वेरिएंट की तरह नहीं है. जिस तरह से डेल्टा वेरिएंट सांस लेने में कठिनाई को बढ़ाता है, उस तरह से ओमीक्रॉन ऐसा नहीं करता है. यह तेजी से फैल सकता है, मगर बहुत हद तक जानलेवा नहीं है.
दुनिया के कई देशों में तबाही मचा सकता है डेल्मीक्रॉन
डेल्टा और ओमीक्रॉन वेरिएंट का मिश्रण है डेल्मीक्रॉन. दोनों वेरिएंट एक साथ मिलकर एक खतरनाक वेरिएंट का रूप सामने आया है. डेल्मीक्रॉन यूरोप और अमेरिका में तेजी से फैल रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि अगर यह दुनिया के अन्य देशों में दस्तक देता है तो लाखों लोगों की मौत हो सकती है. वहीं ओमीक्रॉन के बारे में बात की जाए तो यह कहा जा रहा है कि कुछ दिनों में यह डेल्टा से भी अधिक खतरनाक हो जाएगा. इसका मतलब यह है कि अगर कोरोना वेरिएंट डेल्मीक्रॉन तेजी से फैलता है तो दुनिया के कई देशों में तबाही मचा सकता है.
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