जम्मू कश्मीर में 4G इंटरनेट बहाली की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने साफ कहा कि सरकार के लिए देश की सुरक्षा सर्वोपरि है. इंटरनेट का फैसला देश की सुरक्षा से जुड़ा है. ऐसे मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए. यह सरकार का काम है कि वह राष्ट्र की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाती है. याचिका में तर्क दिया गया कि लॉकडाउन के बीच जरूरी काम के लिए 4G इंटरनेट सेवा शुरू की जानी चाहिए.
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दरअसल लॉकडाउन के कारण देशभर में स्कूल और कॉलेज बंद हैं. छात्रों को ऑनलाइन क्लास के जरिए पढ़ाई कराई जा रही है. ऐसे में 2जी सेवा उनके लिए परेशानी बन रही है. इस मांग को लेकर याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील हुजेफा अहमदी ने दलील दी कि मौजूदा 2G सर्विस के चलते बच्चों की पढ़ाई, कारोबार में दिक्कत आ रही है. कोरोना महामारी के बीच लोग वीडियो कॉल के जरिये डॉक्टरों से ज़रूरी सलाह नहीं ले पा रहे. इंटरनेट के जरिये डॉक्टरों तक पहुंचने के अधिकार, जीने के अधिकार के तहत आता है. लोगो को डॉक्टर तक पहुंचने से रोकना उन्हें आर्टिकल 19, 21 के तहत मिले मूल अधिकार से वंचित करना है. अहमदी ने कहा कि अभी राज्य में 701 कोरोना के केस है और आठ लोगों की मौत हो चुकी है. इंटरनेट स्पीड बाधित होने के चलते कोरोना इलाज को लेकर डॉक्टरो को ज़रूरी जानकारी उन्हें नहीं मिल पा रही है.
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इस मामले में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जम्मू कश्मीर में इंटरनेट स्पीड पर नियंत्रण आंतरिक सुरक्षा के लिए जरूरी है. राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है. सामाजिक, राजनैतिक स्थिरता या फिर सीमा की रक्षा, सब इसमे निहित है. ये फैसला सरकार पर छोड़ देना चाहिए. देश की सम्प्रभुता से जुड़े ऐसे मसलो पर सार्वजनिक तौर पर या कोर्ट में बहस नहीं की जा सकती. कोर्ट को इस मसले में दखल नहीं देना चाहिए. सवाल सिर्फ कोरोना पीड़तों का ही नहीं, सूबे में रहने वाले सभी लोगों की सुरक्षा का है. सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ कराई जाती है.
Source : News State