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शोध में खुलासा: आपके शरीर में ही है कोरोना वायरस का इलाज, जल्द आ सकती है वैक्सीन

पूरी दुनिया में जानलेवा और बेहद खतरनाक कोरोना वायरस (Corona Virus) से अब तक सात हजार से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

Updated on: 18 Mar 2020, 10:16 PM

नई दिल्ली:

पूरी दुनिया में जानलेवा और बेहद खतरनाक कोरोना वायरस (Corona Virus) से अब तक सात हजार से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. सैकड़ों देश इसकी वैक्सीन (Corona virus treatment) ढूंढने में लगे हुए हैं और इसके लिए कई प्रयोग और शोध चल रहे हैं. इसी क्रम में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में एक अध्ययन में सामने आया है कि 47 वर्षीय महिला जोकि कोरोनो वायरस से हल्की पीड़ित थी उसके शरीर में एंटी बॉडी पैदा हुआ जो कोरोना संक्रमण से लड़ा और करीब 10 दिनों में बिना किसी दवा के महिला ठीक हो गई.

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इससे शोध करने वाले डॉक्टरों को पता चला कि एक मरीज के शरीर में मौजूद प्रतिरक्षा प्रणाली एंटी बॉडी का उत्पादन कर सकती है जो कोरोनो वायरस संक्रमण के हल्के असर से लड़ती है. विशेषज्ञों के अनुसार, इस अध्ययन से कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन (टीका) के विकास में अहम हो सकता है. पीटर डोहर्टी इंस्टीट्यूट फॉर इंफेक्शन एंड इम्यूनिटी के शोधकर्ताओं की ओर से मंगलवार को नेचर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित किए गए इस शोध लेख में 4 अलग-अलग समय बिंदुओं पर परीक्षण किए गए रक्त के नमूनों पर आधारित था, जो यह बता रहा था कि किसी मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस के प्रति कैसे प्रतिक्रिया देती है.

शोध के लिए कोरोना से संक्रमित व्यक्ति को चुना गया था

 इस शोध में जिस मरीज को चुना गया था वो संक्रमण से बहुत कम प्रभावित था और वो कोई भी नहीं करती थी. उसके शरीर से पानी की कमी को दूर करने के लिए उसे नियमित अंतराल पर तरल पदार्थ दिए गए, लेकिन संक्रमण का इलाज करने को उसे एंटीबायोटिक्स, स्टेरॉयड या एंटीवायरल कोई दवा नहीं दी गई. कोरोना वायरस मुख्य रूप से उसके फेफड़ों को प्रभावित कर रहे थे. इस महिला पर यह शोध किया गया उसने चीन में वुहान से यात्रा की थी, जो वैश्विक महामारी का केंद्र था.

इस शोध को लेकर प्रोफेसर कैथरीन केडजिसर्य ने कहा कि हमने देखा कि भले ही कोविड 19 (COVID-19) एक नए वायरस के कारण होता है. स्वस्थ व्यक्ति में, विभिन्न सेल प्रकारों में एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया क्लिनिकल रिकवरी से जुड़ी हुई थी, जैसा कि हम इन्फ्लूएंजा में देखते हैं. उन्होंने आगे कहा कि कोरोना वायरस के मामले में यह एक अविश्वसनीय कदम है कि आखिर वो शरीर पर किस तरह से प्रभाव डालती है और किस पर सबसे पहला हमला होता है. लोग हमारे तरीकों का उपयोग बड़े कोविड 19 समूहों में प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को समझने के लिए कर सकते हैं, और यह भी समझ सकते हैं कि इससे बुरी तरह पीड़ित लोगों में किस चीज की कमी से ऐसा हुआ है.

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इस शोध में चार प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाओं की उपस्थिति पाई गई जब रोगी बीमार था तो दो प्रकार के एंटीबॉडी के उत्पादन को प्रेरित करता था. संक्रमित होने के बाद उसे दस दिनों के लिए घर से अलग कर दिया गया और उसके लक्षण 13 फरवरी को पूरी तरह से गायब हो गए. एंटी बॉडीज उसके खून में सातवें दिन से 20 दिन तक रहे.