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EXCLUSIVE: कोरोना वैक्सीन बना लुटेरों का नया 'हथियार', Online लूट से बचें

अभी तक दुनिया के चंद देशों के गिने-चुने लोगों तक ही कोरोना की वैक्सीन पहुंची है. लेकिन महामारी से बचाने वाली इस संजीवनी पर साइबर हमलावरों की नजर पड़ चुकी है. अमेरिकी फॉर्मा कंपनी फाइजर के बाद अब मॉर्डना की वैक्सीन पर साइबर अटैक हुआ है.

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Ravindra Singh
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Covid 19 Vaccine

सांकेतिक चित्र( Photo Credit : फाइल (सोशल मीडिया))

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ब्रिटेन, रूस के बाद अब अमेरिका में भी कोरोना वैक्सीन की डोज लोगों के बाजू तक पहुंच रही है. और देश में कोरोना वैक्सीन का इंतजार जल्द खत्म होने वाला है...नया साल कोरोना वैक्सीन के साथ आने वाला है. लेकिन आज हम आपको कोरोना वैक्सीन को लेकर एक ऐसी खबर बताने जा रहे हैं. जिससे न सिर्फ पिछले एक साल से जारी वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत जाया हो सकती है. बल्कि कोरोना वैक्सीन के नाम पर कोई आपके बैंक खाते पर भी सेंध लगा सकता है. 

अभी तक दुनिया के चंद देशों के गिने-चुने लोगों तक ही कोरोना की वैक्सीन पहुंची है. लेकिन महामारी से बचाने वाली इस संजीवनी पर साइबर हमलावरों की नजर पड़ चुकी है. अमेरिकी फॉर्मा कंपनी फाइजर के बाद अब मॉर्डना की वैक्सीन पर साइबर अटैक हुआ है. जीं हां जिस फाइजर वैक्सीन की डोज आज की तारीख में ब्रिटेन और अमेरिका के लोगों को दी जा रही है. उस फाइजर वैक्सीन के डेटा सेंटर पर साइबर हमला हुआ है.

इस हमले में कोरोना वैक्सीन से जुड़ी फाइल्स को गैरकानूनी तरीके से एक्सेस किया गया. तो वहीं मॉडर्ना वैक्सीन ने भी जानकारी दी है कि साइबर अटैक में उसके वैक्सीन से जुड़े कई अहम दस्तावेजों की  चोरी हुई है. कंपनी ने खुद इसकी जानकारी यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी को दी है. वैक्सीन डेटा सेंटर पर हैकर्स के हमले का हम आप पर क्या असर होगा. ये बताएंगे आगे लेकिन पहले ये जानिए कोरोना वैक्सीन के डेटा में लगी इस सेंध से एजेंसियां किसतरह अलर्ट हो चुकी है. ब्रिटेन में साइबर सुरक्षा पर नजर रखने वाली नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर ने बयान जारी कर किया है. 

हम यूरोपियन यूनियन के मेडिसिन रेगुलेटर पर हुए साइबर अटैक के प्रभाव को समझने के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ काम कर रहे हैं. फिलहाल ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे माना जाए कि यूके का मेडिसिन रेगुलेटर प्रभावित हुआ है.

अब आप इन ईमेल्स के जरिए समझिए किसतरह हैकर्स कोरोना वैक्सीन के डेटा में पहले सेंध लगाते हैं. फिर वो उन डेटा का इस्तेमाल कर आप तक पहुंचते हैं और उसके बाद शुरू होता है नकली कोरोना वैक्सीन का खेल. साथ ही आपके बैंक खाते पर आपकी नहीं हैकर्स की हो जाती है नकेल.
ये पूरा खेल होता है. डार्क नेट के जरिए.

जानिए क्या है डार्क नेट?

  • डार्क वेब और ब्लैक वेब के नाम से भी जाना जाता है
  • TOR, I2P जैसे खास सॉफ्टवेयर से डार्क वेब का इस्तेमाल
  • दुनिया मे सिर्फ 4 % लोग ही इंटरनेट के स्पेस का इस्तेमाल करते हैं
  • 94 % स्पेस डार्कनेट या डीप डार्कनेट में इस्तेमाल होता है
  • डार्कनेट जुर्म की दुनिया का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म
  • ड्रग्स, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग समेत किसी भी वारदात का सामान मौजूद
  • फर्जी ID के जरिए किसी भी तरह के जुर्म के टूल्स मंगाए जा सकते हैं
  • फर्जी ID होने की वजह से आरोपी तक पहुंचना बेहद मुश्किल

अब जब आप डार्कनेट समझ गए हैं...तो अब आप ये समझिए किसतरह डार्कनेट के जरिए कोरोना की नकली वैक्सीन की कालाबाजारी शुरू हो गई है......आपके टीवी स्क्रीन पर जो एक ईमेल का स्क्रिन शाट्स है....वो इसी महीने के 5 दिसंबर का है.....और इस मेल के जरिए 300 डॉलर तक में कोरोना की वैक्सीन का ऑफर है..

JKT ANC SIT THROUGH
कोरोना वैक्सीन को लेकर जब हमने इंटरनेट सर्च किया तो हमें चौंकाने वाली जानकारी मिली है..250 डॉलर में कोरोना वायरस वैक्सीन के ऑफर मौजूद हैं...यहां आपको बता दें कि जिन देशों में अभी कोरोना की वैक्सीन लोगों को दी जा रही है....और जल्द ही जब ये हिंदुस्तान में भी लोगों के बाजू तक पहुंचेगी,.,.,तो इसकी बिक्री ऑनलाइन नहीं होगी...लेकिन हैरान करनी वाली बात ये है कि ये नकली वैक्सीन पहले से ही ऑनलाइन मौजूद है...  0.01 बिटकॉइन यानी करीब 300 डॉलर में वैक्सीन उपलब्ध करा रहा है. उसने कहा कि 14 खुराक लेने की जरुरत होगी.

जाहिर है कोरोना वैक्सीन को लेकर हैकर्स और फर्जीवाड़ा गैंग पूरी दुनिया में एक्टिव है. तो वहीं इससे निपटने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी पुलिस एजेंसी इंटरपोल भी एक्शन में है. इसी महीने इंटरपोल के सेक्रेट्री जनरल  जुर्गन स्टॉक की ओर से  दुनिया के 194 देशों को साफ-साफ चेतावनी देते हुए लिखा गया है कि सरकारें वैक्सीन को बाहर निकालने की तैयारी कर रही हैं. आपराधिक संगठन सप्लाई चेन में घुसपैठ करने या उसे बाधित करने की योजना बना रहे हैं

कोरोना वैक्सीन को लेकर इंटरपोल ने 5 बड़ी चेतावनी जारी की है

  1. आपराधिक संगठन वैक्सीन सप्लाई चेन में घुसपैठ कर सकते हैं
  2. इंटरपोल की दूसरी चेतावनी है कि ऑनलाइन मेडिकल उपकरण या दवाओं की खोज पर विशेष सतर्कता जरूरी है
  3. तीसरी चेतावनी में कहा गया है कि ऑनलाइन फ़ार्मेसी से जुड़ी 3000 वेबसाइटों से गड़बड़ी का खतरा है
  4. जबकि चौथी चेतावनी ये है कि वेबसाइट से जुड़े लोग अवैध दवा, मेडिकल उपकरण बेचने में सक्रिय है
  5. और पांचवीं वार्निंग में ये कहा गया है कि इनमें से 1,700 वेबसाइट से साइबर खतरा है. ये फिशिंग और स्पैमिंग मैलवेयर हैं

जाहिर है कोरोना काल में आप भी अगर दवा या कोरोना वैक्सीन से जुड़ी जानकारी ऑन लाइन सर्च कर रहे हैं,तो सावधान हो जाएं. क्योंकि ऑनलाइन सर्च के दौरान गलत क्लिक आपको सीधे पहुंचा सकता है उस सर्वर पर. जहां मिलता है सिर्फ और सिर्फ धोखा. यानी जिस संजीवनी की खोज आप कर रहे हैं, वो संजीवनी तो आपको नहीं मिलेगी. बल्कि आपको कंगाल जरूर कर देगी. आपके साथ कोरोना वैक्सीन को लेकर कोई फर्जीवाड़ा न हो. इसके लिए एक जिम्मेदार न्यूज चैनल होने की वजह से हमारी ये जिम्मेवारी बनती है कि आपको इस फर्जीवाड़े गैंग से सावधान करें. तो इसके लिए आपको डार्क वेब से बचना होगा.

Source : News Nation Bureau

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