देश में इस वक्त लॉकडाउन लागू है. इसके चलते सड़को पर सन्नाटा पसरा पड़ा है. नहीं के बराबर गाड़ियां नजर आ रही है और फॅक्ट्रियां भी बंद हो गई हैं. इन सब के चलते प्रदूषण में काफी कमी आई है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दिलचस्प कमेंट किया है. उन्होंने कहा, पहली बार मैंने बगीचे में मोरों का झुंड देखा. आसमान में तारे देखे. आमतौर पर दिल्ली में प्रदूषण की वजह से ये दिखाई नहीं देते.'
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बता दें, कोरोना के संक्रमण को देखते हुए और इसके तहत सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सुप्रीम कोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई कर रहा है. इससे पहले कोर्ट नेलॉकडाउन के दौरान अदालती कामकाज की एक गाइटलाइन भी जारी की थी.
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क्या थी सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
- सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट सोशल डिस्टन्सिंग और पब्लिक हेल्थ गाइडलाइंस पालन के लिए सारे कदम उठाए
- हाई कोर्ट सुविधा के मुताबिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का तौर तरीका तय करे.
- HCs नियम बनाये, निचली अदालत उंसके मुताबिक काम करे
- सुनवाई के दौरान वीडियो फीड में आ रही दिक्कतों की शिकायत के लिए हेल्पलाइन हो .किसी पक्ष को कोई दिक्कत हो तो वो सुनवाई के दौरान या तुंरत बाद इसकी सूचना दे. बाद में की गई शिकायत पर गौर नहीं होगा
- जो वादी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा का फायदा नहीं उठा सकते, उनके उचित इंतज़ाम किये जाये.
- जब तक हाई कोर्ट्स की ओर से उचित नियम नहीं बनाये जाते, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का इस्तेमाल हो.
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये किसी मामले में सबूत रिकॉर्ड नहीं होंगे. सबूत/गवाही रिकॉर्ड करने के लिए कोर्ट में बुलाया जाएगा
- सबूत रिकॉर्ड करते वक्त जज ये सुनिश्चित करे कि कोर्ट रूम में पर्याप्त फासला बने रहे. कोर्ट अपनी सुविधा के लिहाज से एंट्री को प्रतिबंधित कर सकते है.
- मुकदमे से जुड़े लोगों की एंट्री को प्रतिबंधित नहीं किया जाए, बशर्ते वो किसी स्वास्थ्य परेशानी से जूझ रहे हो. अगर कोर्ट रूम में भीड़ मैनेज नहीं हो पाती, तो जज सुनवाई को टाल सकते हैं.
- NIC पूरे देश में सुविधा से वीडियो कांफ्रेंसिंग सुनवाई सुनिश्चित करे
- लॉक डाउन खत्म होने के बाद भी वीडियो कांफ्रेंसिंग व्यवस्था खत्म नहीं होगी. इसे और बेहतर बनाने पर काम किया जाएगा.