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कोरोना का कहर: अप्रैल और मई में 2.27 करोड़ लोगों ने गंवाई नौकरी

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन एकोनॉमी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी महेश व्यास (Mahesh Vyas) का कहना है कि मौजूदा समय में देश में नौकरियों की कुल संख्या करीब 40 करोड़ है जिसमें से अप्रैल और मई के दौरान 2.27 करोड़ लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं.

Updated on: 02 Jun 2021, 01:42 PM

highlights

  • महामारी के शुरू होने से अब तक तकरीबन 97 फीसदी परिवारों की आय में गिरावट
  • कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर की वजह से लोग बेरोजगार हुए हैं: महेश व्यास

नई दिल्ली:

Coronavirus (Covid-19): कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर की वजह से देश में अप्रैल और मई के दौरान 2.27 करोड़ लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन एकोनॉमी (सीएमआईई) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी महेश व्यास (Mahesh Vyas) का कहना है कि मौजूदा समय में देश में नौकरियों की कुल संख्या करीब 40 करोड़ है जिसमें से अप्रैल और मई के दौरान 2.27 करोड़ लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं. उनका कहना है कि पिछले साल कोरोना महामारी के शुरू होने से अब तक तकरीबन 97 फीसदी परिवारों की आय में गिरावट देखने को मिली है. उनका कहना है कि मई के दौरान बेरोजगारी दर 12 फीसदी दर्ज की गई है, जबकि अप्रैल के दौरान यह आंकड़ा 8 फीसदी का था.  

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कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर की वजह से लोग बेरोजगार हुए
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनका कहना है कि कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर की वजह से लोग बेरोजगार हुए हैं. उनका कहना है कि अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के बाद समस्या का समाधान होने की संभावना है. उनका कहना है कि बेरोजगार हुए लोगों को नई नौकरियों की तलाश करने में काफी परेशानी दिक्कत हो रही है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक असंगठित क्षेत्र में जहां रोजगार काफी तेजी से बनते हैं वहीं दूसरी ओर संगठित क्षेत्र में अच्छी नौकरियों के सृजन में समय लगता है. बता दें कि पिछले साल मई के दौरान कोरोना वायरस महामारी के ऊपर नियंत्रण लगाने के उद्देश्य लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से देश में बेरोजगारी दर 23.5 फीसदी की रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई थी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अपने चरम पर है और अब मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए राज्य धीरे-धीरे पाबंदियों में ढील देकर आर्थिक गतिविधियों की अनुमति देना शुरू करने जा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनका कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 3-4 फीसदी बेरोजगारी दर सामान्य माना जा सकता है.