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जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 हटाए जाने पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ गठित

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ का गठन किया है. संविधान पीठ एक अक्टूबर से इन याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी.

Updated on: 30 Sep 2019, 11:44 AM

highlights

  • यह पीठ अनुच्छेद 370 हटाने के प्रावधानों और प्रक्रिया को चुनौती देती याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
  • अपने रिटायरमेंट के कारण चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस बेंच में ख़ुद को नहीं रखा है.
  • दो याचिकाएं राष्ट्रपति की अधिसूचना को भी चुनौती देती हैं.

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ का गठन किया है. यह पीठ अनुच्छेद 370 हटाने के प्रावधानों और प्रक्रिया को अलग-अलग नजरिए से चुनौती देती याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. इन याचिकाओं में से दो याचिकाएं 370 हटाने के प्रावधानों के साथ-साथ इस बारे में राष्ट्रपति की अधिसूचना को भी चुनौती देती हैं. संविधान पीठ एक अक्टूबर से इन याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी.

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चीफ जस्टिस गोगोई नहीं हैं संविधान पीठ में
अनुच्छेद 370 हटाने के मसले पर जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत शामिल है. संविधान पीठ 1 अक्टूबर से सुनवाई शुरू कर देगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस बेंच में ख़ुद को नहीं रखा है. वजह यह है कि वह 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. हालांकि उनकी अध्यक्षता वाली संविधान पीठ आजकल अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही है.

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कुल 14 याचिकाएं हैं
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर की संवैधानिक और नागरिक अधिकारों पर पाबंदी को लेकर कुल 14 याचिकाएं दायर की गई थीं. इसमें दो याचिकाएं बंदी प्रत्यक्षीकरण यानी हैबियस कोर्पस, जबकि दो कर्फ्यू और अन्य पाबंदियों को हटाने को लेकर की गई थी. एक याचिका मीडिया और जनता के जानकारी हासिल करने के अधिकारों को लेकर है जबकि बाकी 9 याचिकाएं अनुच्छेद 370 हटाने के प्रावधानों और प्रक्रिया को अलग-अलग नजरिए से चुनौती दे रही हैं. दो याचिकाएं 370 हटाने के प्रावधानों के साथ-साथ राष्ट्रपति की अधिसूचना को भी चुनौती देती हैं.