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हल्ला बोल:  मोनेटाइजेशन पाइप लाइन के खिलाफ मोदी सरकार को घेरेगी कांग्रेस

केंद्र सरकार को नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के खिलाफ कांग्रेस अगले हफ्ते से घेरने की रणनीति बना रही है. कांग्रेस के बड़े नेता देश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन स्कीम के बारे में बताएंगे और ज्यादा को समझाएंगे कि केंद्र सर

Updated on: 29 Aug 2021, 09:26 PM

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार को नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के खिलाफ कांग्रेस अगले हफ्ते से घेरने की रणनीति बना रही है. कांग्रेस के बड़े नेता देश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन स्कीम के बारे में बताएंगे और ज्यादा को समझाएंगे कि केंद्र सरकार देश की संपत्तियों को बेचने का काम कर रही है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर पिछले हफ्ते प्रेस कॉन्फ्रेंस पर निशाना साधा था और कहा था कि केंद्र सरकार सरकारी संपत्तियों को बेचकर देश को गुलाम बना रही है.  ये नेता देश की राजधानियों में करेंगे प्रेस कॉन्फ्रेंस-

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  • लखनऊ में भूपेश बघेल,
  • हैदराबाद में मलिकार्जुन खरगे,
  • बेंगलुरु में सचिन पायलट,
  • मुंबई में पी चिदंबरम,
  • पटना में दिग्विजय सिंह,
  • कोलकाता में सलमान खुर्शीद
  • गुवाहाटी में मुकुल वासनिक
  • जयपुर में राजीव शुक्ला
  • भोपाल में भरत सोलंकी
  • रायपुर में अजय माकन
  • श्रीनगर में शशि थरूर 

वहीं कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि केन्द्र सरकार का 60 लाख करोड़ की सरकारी संपत्तियों को बेचने जा रही है. जो देश हित में नहीं है. वहीं, कांग्रेस सहित समूचे विपक्ष की ओर से नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन नीति पर हुई घेराबंदी के बाद केंद्र सरकार भ्रम दूर करने में जुटी है. भारतीय जनता पार्टी संगठन की ओर से भी काउंटर अटैक कर कांग्रेस नेताओं की समझ पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

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इस मुद्दे पर पार्टी नेताओं को जनता के बीच सही तस्वीर पेश करने का निर्देश जारी हुआ है. इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी बीते दिनों जहां प्रेस कांफ्रेंस कर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पी चिदंबरम पर हमला बोल चुकी हैं, वहीं भाजपा की ओर से योजना से जुड़ी जानकारियों से जुड़ी पोस्ट सोशल मीडिया पर डालकर सफाई दी जा रही है कि किसी भी राष्ट्रीय परिसंपत्ति को बेचने का कोई प्लान नहीं है. सरकार और भाजपा संगठन की ओर से मुहिम चलाकर बताया जा रहा कि मोनेटाइजेशन और प्राइवेटाइजेशन में जमीन और आसमान का फर्क है. मोनेटाइजेशन का मतलब किसी राष्ट्रीय परिसंपत्ति को किराए पर देना है न कि बेचना.