आज देश में 70वां संविधान दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संसद भवन के केंद्रिय कक्ष से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए डिजिटल प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे. इसके साथ ही वह कार्यक्रम को संबोधित भी करेंगे. संविधान दिवस पर आयोजित इस समारोह में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के अलावा अन्य पदाधिकारी हिस्सा ले रहे हैं. कार्यक्रम का आयोजन सुबह 11 बजे संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में शुरू हो गया है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने आज संविधान दिवस के मौके पर राष्ट्रपति कोविंद के भाषण को बॉयकॉट करने का फैसला किया है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस राष्ट्रपति के भाषण को बॉयकॉट करेगी और संसद में अंबेडकर स्टैचू के सामने प्रदर्शन करेगी.
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Delhi: Congress leader Rahul Gandhi arrives at Parliament premises. Opposition parties will boycott President Ram Nath Kovind's address at the joint sitting of Parliament today, and will hold a protest in front of the Ambedkar Statue in Parliament. pic.twitter.com/WI0DJZdp8n
— ANI (@ANI) November 26, 2019
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 26 नवंबर का दिन ऐतिहासिक है. आज ही के दिन संविधान को अंगीकार किया गया. महान विरासत हमारे हाथों में दी गई है. सपनों को शब्दों में मढ़ने का प्रयास किया गया. संविधान दिवस के अवसर पर संसद के संयुक्त सत्र में मोदी ने कहा- 7 दशक पहले इसी सेंट्रल हॉल में इतनी ही पवित्र आवाजों की गूंज थी. तर्क आए, तथ्य आए. आस्था की चर्चा हुई, सपनों की चर्चा हुई. उन्होंने कहा, कुछ दिन और अवसर ऐसे होते हैं जो हमारे अतीत के साथ हमारे संबंधों को मजबूती देते हैं. हमें बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं. आज 26 नवंबर का दिन ऐतिहासिक दिन है, 70 साल पहले हमने विधिवत रूप से, एक नए रंग-रूप के साथ संविधान को अंगीकार किया था.
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पीएम मोदी ने कहा, मैं विशेष तौर पर 130 करोड़ भारतीयों के सामने नतमस्तक हूं, जिन्होंने भारत के लोकतंत्र के प्रति आस्था को कभी कम नहीं होने दिया और हमारे संविधान को हमेशा एक पवित्र ग्रंथ माना पीएम मोदी ने आगे कहा, बाबा साहब ने पूछा था कि हमें आजादी भी मिल गई, गणतंत्र भी हो गए. क्या हम इसे बनाए रख सकते हैं? क्या अतीत से हम सीख ले सकते हैं? बाबा साहब अगर होते तो उनसे अधिक प्रसन्नता शायद ही किसी को होती. भारत ने इतने वर्षों में उनके सवालों का उत्तर दिया और अपने लोकतंत्र को आर समृद्ध किया