राफेल डील मामले में राहुल के आरोप पर सरकार का पलटवार, कहा- जो कांग्रेस ने किया वही हम कर रहे हैं
सरकार ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि यूपीए सरकार ने भी कई रक्षा सौदौं का ब्योरा सार्वजनिक करने में असहमति जताई थी।
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार ने राफेल डील को लेकर राहुल गांधी के आरोप का जवाब देते हुए कहा है कि उनके द्वारा लगाये जा रहे आरोप बेबुनियाद है और उनके इस 'भ्रामक बयान' से 'गंभीर क्षति' हुई है।
सरकार ने बुधवार को जारी अपने बयान में कहा कि समझौते के तहत राफेल लड़ाकू विमान की कीमत को उजागर करना 'अव्यवहारिक' है। यूपीए सरकार ने भी कई रक्षा सौदौं का ब्योरा सार्वजनिक करने में असहमति जताई थी।
सरकार ने कहा, 'सामान्य तौर पर इस तरह के मामलों में प्रतिक्रिया नहीं दी जानी चाहिए थी, लेकिन कांग्रेस द्वारा भ्रम फैलाने वाले बयानों से राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।'
सरकार ने बुधवार को जारी अपने बयान में कहा, 'फ्रांस से फ्लाइ-अवे स्थिति में 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए वर्ष 2016 के अंतर-सरकारी समझौते(आईजीए) पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।'
बयान के अनुसार, 'राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) सरकार के अंतर्गत यह सौदा क्षमता, मूल्य, सामग्री, वितरण, रखरखाव, प्रशिक्षण की बेहतर शर्तों पर किया गया है, जबकि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(संप्रग) सरकार 10 वर्षो में इस सौदे को अमलीजामा नहीं पहना सकी थी।'
बयान के अनुसार, 'मौजूदा सरकार ने इस सौदे को केवल एक वर्ष में पूरा किया, जोकि पूरे नियम व प्रक्रिया के साथ किया गया है।'
इससे पहले सोमवार को निर्मला सीतारमण ने इस बारे में राज्यसभा में जानकारी देते हुए कहा कि गोपनीयता की शर्तों के मुताबिक राफेल सौदे के मूल्य और ब्योरे को लेकर जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है।
सरकार ने बताया, 'राफेल विमान की मोटे तौर की लागत की जानकारी संसद को दी जा चुकी है। आइटम के लिहाज से लागत और अन्य सूचनाएं बताने पर वे सूचनाएं भी आम हो जाएंगी, जिनके तहत इन विमानों का कस्टमाइजेशन और वेपन सिस्टम से लैस किया जाएगा। यह काम विशेष तौर पर मारक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। अगर इनका खुलासा हुआ तो सैन्य तैयारियों पर असर पड़ेगा। इस तरह ब्योरे 2008 में साइन किए गए सिक्यॉरिटी अग्रीमेंट के दायरे में भी आएंगे। कॉन्ट्रैक्ट के ब्योरे को आइटम के हिसाब से आम न करके सरकार भारत और फ्रांस के बीच हुए उस समझौते का पालन कर रही है, जिस पर पिछली सरकार ने साइन किए थे।'
गौरतलब है कि 2016 में 36 राफेल विमानों के लिए भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच समझौता हुआ था। इस डील पर कांग्रेस सवाल उठा रही है।
इससे पहले राफेल डील को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि, 'अति गोपनीय ( वितरण के लिए नहीं)। आरएम ( रक्षा मंत्री) कहती हैं कि प्रत्येक राफेल विमान के लिए प्रधानमंत्री और उनके 'भरोसेमंद' मित्र के बीच हुई बातचीत एक राजकीय गोपनीयता है।'
राहुल ने कहा, 'एक्शन प्वाइंट, मूल्य के बारे में संसद को सूचित करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होगा। जो भी पूछे, उसे राष्ट्र विरोधी घोषित कर दो।' कांग्रेस अध्यक्ष ने इस ट्वीट पर हैशटैग दिया 'बड़ा राफेल रहस्य।'
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार राफेल विमान का मूल्य संसद में भी खुलासा नहीं करना चाहती, जिससे उसकी मंशा पर सन्देह पैदा होता है।
उन्होंने आरोप लगाया, 'मोदी सरकार राष्ट्रीय हित एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करने के माफ नहीं किए जाने वाले खेल में लगी है। भारतीय वायु सेना के लिए लड़ाकू विमान की खरीद में बड़े घोटाले की बू आ रही है।'
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