हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव में दलितों के भरोसे कांग्रेस की नाव
कांग्रेस पार्टी इस यात्रा की बदौलत स्थानीय संगठनों को साथ मिला करके दलित बहुल इलाकों में सभा और जनसंपर्क कार्यक्रम करेगी.
highlights
- विधानसभा चुनाव में कांग्रेस खेलेगी दलित कार्ड
- इस साल तीन राज्यों में हैं विधानसभा चुनाव
- महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में विधानसभा चुनाव
नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव 2019 (Loksabha Election 2019) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन (NDA) से बुरी तरह से शिकस्त खाने के बाद कांग्रेस (Congress) हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र (Haryana, Jharkhand and Maharashtra) में होने वाले विधानसभा चुनावों (Assembly Election 2019) के लिए दलितों पर दांव खेलने की रणनीति पर काम कर रही है. कांग्रेस अपने परंपरागत वोटरों को साधने के लिए और दलित समुदाय का दिल जीतने के लिए पद यात्रा निकाल कर सुरक्षित सीटों पर ज्यादा फोकस करेगी. कांग्रेस पार्टी इस यात्रा की बदौलत स्थानीय संगठनों को साथ मिला करके दलित बहुल इलाकों में सभा और जनसंपर्क कार्यक्रम करेगी. इसके अलावा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर भी पार्टी पहले से ज्यादा फोकस करेगी.
कांग्रेस के दलित नेता डॉ. अशोक राम (Dr. ASHOK RAM, CONGRESS DALIT LEADER) ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी जी ने निर्देश दिया है कि तीनों राज्यों में के विधानसभा चुनावों में दलितों पर ज्यादा फोकस किया जाए. यह एक सराहनीय कदम है, कांग्रेस हमेशा से दलितों की रक्षा करती आई है और उनकी समाज में उचित भागीदारी को सुनिश्चित करती आई है. महाराष्ट्र झारखंड हरियाणा के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सहारे कांग्रेस अपनी नैय्या पार लगाने के जुगाड़ में है.
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वहीं अगर हम बात करें महाराष्ट्र की तो दलित समुदाय की आबादी करीब 14 फीसदी है. प्रदेश में कुल 288 विधानसभा सीटों में से 29 सीटें अनसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. इसके अलावा भी कई ऐसी सीटें हैं जहां दलित समुदाय अहम भूमिका अदा करते हैं. वहीं हरियाणा में दलित समुदाय की आबादी करीब 20 फीसदी है जो किसी भी पार्टी की हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाते है. प्रदेश की कुल 90 विधानसभा सीटों में से अनुसूचित जाति के लिए 17 सीटें आरक्षित हैं.
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इसी तरह झारखंड में दलितों की संख्या करीब 10 फीसदी है। यहां की कुल 81 विधानसभा सीटों में से 9 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव में तीनों राज्यों की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर बीजेपी ने जबरदस्त जीत हासिल की थी। जबकि 2014 के पहले इन तीनों राज्यों में दलित समुदाय की पहली पंसद कांग्रेस हुआ करती थी.
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