अमेठी से हार के बाद क्या इंदिरा गांधी के कदमों पर चलेंगे राहुल गांधी

वहीं गांधी परिवार के लिए यह चुनाव किसी सदमे से कम नहीं रहा.

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yogesh bhadauriya
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अमेठी से हार के बाद क्या इंदिरा गांधी के कदमों पर चलेंगे राहुल गांधी

राहुल गांधी

लोकसभा चुनाव 2019 का चुनाव परिणाम सभी के सामने आ चुका है. वहीं गांधी परिवार के लिए यह चुनाव किसी सदमे से कम नहीं रहा. कांग्रेस को 2014 के लोकसभा चुनाव की तुलना में सिर्फ 8 सीटों की बढ़त हासिल हुई. लोकसभा में अब कांग्रेस सांसदों की संख्या 52 हो गई है, जो 2014 में 44 थी. खुद पार्टी चीफ राहुल गांधी स्मृति ईरानी से अमेठी लोकसभा सीट हार गए, जो कांग्रेस का गढ़ माना जाता था.

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हालांकि राहुल को केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर जबरदस्त जीत मिली और उन्हें 706367 वोट मिले. लेकिन क्या अब राहुल गांधी (Rahul gandhi) दोबारा अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे? अगर इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें तो इंदिरा गांधी को रायबरेली से मात मिली, उसके बाद उन्होंने उस क्षेत्र का दोबारा रुख नहीं किया. हालांकि उनके चाचा संजय गांधी जरूर 1977 में अमेठी से हारे लेकिन 1980 में दोबारा जीतकर संसद पहुंचे.

राहुल गांधी की दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1967 के आम चुनावों में यहां से जीत हासिल की. इसके बाद 1971 के चुनावों में भी इंदिरा गांधी यहां से जीतीं. साल 1975 में आपातकाल की घोषणा के बाद जब 1977 में चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी को बुरी तरह मात मिली. जनता पार्टी के राजनारायण ने उन्हें 55,202 वोटों से करारी शिकस्त दी. इसके बाद 1978 के उपचुनावों में इंदिरा गांधी ने दक्षिण का रुख किया और संसद में एंट्री के लिए सीट चुनी कर्नाटक की चिकमगलूर. इस सीट को 1977 में कांग्रेस के डीबी.चंद्रगौड़ा ने जीती थी, जो बाद में भाजपा में शामिल हो गए.

सीट इंदिरा गांधी के लिए खाली कर दी गई. इस चुनाव में इंदिरा ने जनता पार्टी के वीरेंद्र पाटिल को मात दी. यह चुनाव कांग्रेस के लिए फिर अपने पांव पर उठ खड़े होने जैसा था. 1980 में इंदिरा गांधी ने दोबारा दक्षिण की सीट चुनी और इंतजार खत्म हुआ आंध्र प्रदेश की मेडक लोकसभा सीट (अब तेलंगाना) पर. इंदिरा ने यहां जनता पार्टी के कद्दावर नेता एस जयपाल रेड्डी को मात दी.

दिलचस्प बात है कि इंदिरा गांधी 1984 तक जब तक वह जिंदा रहीं, दोबारा रायबरेली का रुख नहीं किया और मेडक से ही सांसद रहीं. 1977 में अमेठी सीट से संजय गांधी को जनता पार्टी के रविंद्र प्रताप सिंह के हाथों करारी शिकस्त मिली. लेकिन तीन साल बाद 1980 में जब चुनाव हुए तो संजय को जबरदस्त जीत मिली. गौरतलब है कि साल 1999 में सोनिया गांधी अमेठी के अलावा कर्नाटक की बेल्लारी सीट से भी लड़ी थीं.

तब कांग्रेस को यह डर था कि सोनिया की संसद में एंट्री रोकने के लिए बीजेपी किसी भी हद तक जा सकती है. इसके बाद सोनिया गांधी ने अमेठी सीट राहुल गांधी के लिए छोड़ दी और खुद रायबरेली चली गईं, जहां से वह अब तक सांसद हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि अमेठी हारने वाले राहुल इंदिरा गांधी की राह पर चलेंगे या संजय गांधी की तरह खुद को दोबारा अमेठी से मौका देंगे.

Source : News Nation Bureau

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