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कांग्रेस का सवाल, मोदी नया सीबीआई निदेशक लाने की इनती जल्दी में क्यों?

कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार पर सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के उत्तराधिकारी को खोजने में 'जल्दबाजी' करने का आरोप लगाया.

Updated on: 10 Jan 2019, 09:30 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार पर सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के उत्तराधिकारी को खोजने में 'जल्दबाजी' करने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने कहा कि भाजपा सरकार राफेल घोटाले की संभावित जांच से भयभीत है, इसीलिए वह वर्मा का उत्तराधिकारी तलाशने की 'जल्दी' में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की नियति के बारे में निर्णय को लेकर उच्चस्तरीय चयन समिति की बैठक के एक दिन बाद कांग्रेस ने यह आरोप लगाया.

उच्चस्तरीय चयन समिति की बैठक सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को फिर से बहाल करने के बाद हुई. सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को मोदी सरकार ने अक्टूबर में उनके सभी अधिकारों से वंचित कर दिया था. इस उच्चस्तरीय समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधान न्यायाधीश द्वारा नामांकित न्यायमूर्ति ए.के.सीकरी व लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हैं. इस समिति की गुरुवार को फिर से बैठक होनी है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर बैठक को लेकर नए सिरे से हमला किया. कांग्रेस अध्यक्ष राफेल सौदे को लेकर मोदी पर हमलावर रहे हैं. राहुल ने ट्वीट किया, 'प्रधानमंत्री सीबीआई प्रमुख को बर्खास्त करने की इतनी जल्दबाजी में क्यों हैं? वह सीबीआई प्रमुख को अपना मामला चयन समिति के समक्ष पेश करने की इजाजत क्यों नहीं देते? उत्तर : राफेल.'

राहुल गांधी ने शीर्ष अदालत के फैसले के बाद दावा किया था कि 'राफेल का सच मोदी को बर्बाद कर देगा.' इसके बाद एक मीडिया कांफ्रेस में कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने आलोक वर्मा के उत्तराधिकारी लेकर 'बेहद जल्दबाजी' करने को लेकर सवाल उठाया.  उन्होंने अक्टूबर में सीबीआई निदेशक के तौर पर आलोक वर्मा को उनके अधिकार से वंचित करने वाली परिस्थितियों की जांच की मांग की.

उन्होंने कहा, 'सर्वोच्च न्यायालय ने हालांकि स्पष्ट तौर पर कहा कि आलोक वर्मा का हटाया जाना अवैध था, लेकिन मोदी सरकार इसे बेशर्मी से किनारे लगाने की कोशिश कर रही है. अहंकारी प्रधानमंत्री अपने को न तो संसद और न ही देश के कानून के प्रति उत्तरदायी मानते हैं.'

उन्होंने कहा, 'सरकार में घबराहट क्यों है, प्रधानमंत्री को चिंता किस बात की है, वह सीबीआई को क्या नहीं देखने देना चाहते हैं? आलोक वर्मा को हटाया जाना, सीबीआई कार्यालयों पर छापेमारी, फाइलों को हटाया जाना, इन सभी की जांच की जरूरत है.'

आनंद शर्मा ने कहा, 'सरकार 23-24 अक्टूबर के रात के घटना क्रम की जांच नहीं करेगी.' उन्होंने इसकी जांच के लिए स्वतंत्र जांच समिति की मांग की. उन्होंने दावा किया, 'प्रधानमंत्री जल्दबाजी में हैं और आलोक वर्मा के उत्तराधिकारी की तलाश में हैं. वह संदेश देना चाहते है कि सर्वोच्च न्यायालय ने भले ही आलोक वर्मा की बहाली कर दी, प्रधानमंत्री उनको काम नहीं करने देंगे और जल्द ही उन्हें कमजोर करने के लिए उनके उत्तराधिकारी का नाम घोषित कर देंगे..उनकी यही मंशा है.'

आनंद शर्मा ने कहा, 'मुख्य सर्तकता आयुक्त, जिन्हें अब तक इस्तीफा दे देना चाहिए था, अब उच्चस्तरीय समिति में आलोक वर्मा के उत्तराधिकारी की सिफारिश करेंगे. इसमें कोई न्याय नहीं होगा, प्रधानमंत्री द्वारा नामांकित व्यक्ति को कार्यालय में बैठा दिया जाएगा, ताकि सरकार के सभी गलत कार्य ढक जाएं.' पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आलोक वर्मा के कार्यकाल के '77 दिनों' को बहाल किए जाने की मांग की जब उनसे उनकी शक्तियां छीन ली गई थीं.