चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) को पद से हटाने के प्रस्ताव खारिज करने के राज्यसभा सभापति के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को कांग्रेस सांसदों ने वापस ले लिया है।
इसके बाद पांच जजों की पीठ ने इसे खारिज घोषित कर दिया।
कांग्रेस के दो सांसदों कपिल सिब्बल और प्रताप सिंह बाजवा ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्होंने कांग्रेस समेत 7 विपक्षी दलों के महाभियोग प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
हालांकि इसके बाद विपक्षी दलों की तरफ से इस फैसले को चुनौती नहीं दी गई बल्कि पार्टी के दो सांसदों ने अपनी तरफ से इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के बाद उन्होंने इस मामले की तत्काल सुनवाई करने की अपील की थी।
मास्टर ऑफ रोस्टर होने के नाते सीजेआई ने इस याचिका की सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ का गठन किया था, जिसमें एक भी वरिष्ठतम जज शामिल नहीं थे।
सुनवाई के दौरान सिब्बल ने कहा कि संविधान पीठ का मामला सिर्फ बेंच के रेफरेन्स आर्डर के जरिये ही सौंपा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम यह जानना चाहते है कि इस मामले में किस बेंच ने संविधान पीठ को सौपनें के लिए रेफर किया।
सिब्बल ने कहा कि अगर यह सीजेआई के आदेश से हुआ है, तो हम इस रेफरेन्स आर्डर को चुनौती दे रहे है, एक ऐसी याचिका जो सुनवाई के लिए मंजूर तक नहीं हुई है, उसे कैसे एक प्रशासकीय आदेश से संविधान पीठ को सौंपा जा सकता है।
कपिल सिब्बल ने संविधान पीठ से चीफ जस्टिस के उस प्रशासनिक आदेश की जानकारी मांगी थी, जिसके जरिये पांच जजों की बेंच का गठन किया गया।
सिब्बल उस आदेश को चुनौती देना चाहते थे। जस्टिस ए के सिकरी की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसकी जानकारी देने से इंकार किया। इसके बाद याचिका वापिस ले ली गई।
गौरतलब है कि कांग्रेस के नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस जे चेलमेश्वर की कोर्ट में मांग की थी कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस चेलमेश्वर ही करें। जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा था कि इसकी सुनवाई की जाए या नहीं इस पर मंगलवार को फैसला किया जाएगा।
लेकिन सोमवार देर शाम याचिका पर सुनवाई को लेकर नोटिस जारी की गई। जिसके मुताबिक इस मामले की सुनवाई जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एन वी रमन्ना, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस ए के गोयल की बेंच करेगी।
जस्टिस सीकरी वरिष्ठता के हिसाब से छठे नंबर पर आते हैं और अन्य नाम उनके बाद आते हैं। हालांकि 4 वरिष्ठतम जजों को इस मामले की सुनवाई से बाहर रखा गया है।
जस्टिस जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, एम बी लोकुर और कुरियन जोसफ को इस पीठ में शामिल नहीं किया गया था। चीफ जस्टिस के खिलाफ रोस्टर और बेंच गठित करने को लेकर जनवरी में जस्टिस चेलमेश्वर समेत चार सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था।
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Source : News Nation Bureau