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कांग्रेस ने आधार संशोधन विधेयक का राज्यसभा में किया विरोध, जानिए क्या है वजह

इस विधेयक में बैंक में खाता खोलने, मोबाइल फोन का सिम लेने के लिये आधार को स्वैच्छिक बनाने का प्रावधान किया गया है.

Updated on: 08 Jul 2019, 09:52 PM

highlights

  • कांग्रेस ने किया आधार संशोधिन विधेयक का विरोध
  • कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बिल पर सवाल खड़े किए
  • बैंक खाता और सिम के लिए आधार अनिवार्य नहीं

नई दिल्ली:

राज्यसभा में सोमवार को कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने आधार कार्ड से जुड़ी जानकारियों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से इसके डाटा की सुरक्षा के लिए संसद में एक विधेयक लाने की मांग की और ध्यान दिलाया कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस संबंध में सुझाव दिया है. उच्च सदन में ‘आधार और अन्य विधियां (संशोधन) विधेयक 2019’ पर हुई चर्चा के दौरान विभिन्न विपक्षी दलों ने यह सुझाव दिया. कई सदस्यों का यह भी सुझाव था कि इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए ताकि इस पर विस्तृत चर्चा और समीक्षा हो सके. 

इस विधेयक में बैंक में खाता खोलने, मोबाइल फोन का सिम लेने के लिये आधार को स्वैच्छिक बनाने का प्रावधान किया गया है. कांग्रेस ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इसके कई प्रावधान उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लंघन करते हैं. राज्यसभा में आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक को चर्चा के लिए रखा और आधार के संबंध में उच्चतम न्यायालय की विभिन्न टिप्पणियों का जिक्र किया.उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि यह निजता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता.

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इससे पहले वाम सदस्य के ई करीम ने दो मार्च को जारी आधार और अन्य विधियां (संशोधन) अध्यादेश, 2019 के खिलाफ एक संकल्प पेश किया. विधेयक चर्चा के लिए रखते हुए प्रसाद ने कहा कि आधार संशोधन विधेयक उच्चतम न्यायालय के फैसले के आलोक में लाया गया है. इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी के पास आधार नहीं होने की स्थिति में उसे सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता है. उन्होंने आधार को सुरक्षित करार देते हुए कहा कि देश की जनता ने आधार की उपयोगिता को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि देश तो आधार के साथ चल पड़ा है और पिछले पांच साल में एक भी गरीब ने ऐसी शिकायत नहीं की कि आधार के कारण उसका जीवन कठिन हुआ है.

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प्रसाद ने कहा कि भारत की आबादी 130 करोड़ है और उनमें से 123.8 करोड़ लोगों के पास आधार है. 69.38 करोड़ मोबाइल फोन तथा 65.91 करोड़ बैंक खाते आधार से जुड़ चुके हैं. उन्होंने कहा कि आधार से 1.41 लाख करोड़ रूपए की बचत हुयी है. उन्होंने कहा कि कोई बच्चा जब वयस्क हो जाता है तो उसे अधिकार है कि वह आधार प्राप्त करने के लिए नए सिरे से अनुमति दे. चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने विधेयक का विरोध किया और कहा कि आधाार एक देश, एक कार्ड नहीं है. उन्होंने कहा कि आधार का उपयोग गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा नहीं किया जा सकता. यह गैर-सरकारी एजेंसियों के लिए नहीं बनाया गया है.उन्होंने कहा कि आधार सेवा, लाभ और सब्सिडी के लिए है. उन्होंने कहा कि आधार में अधिकतर संवेदनशील आंकड़े होते हैं और सरकार अब तक डाटा सुरक्षा कानून नहीं लायी है.

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उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार डाटा सुरक्षा कानून से बच रही है. उन्होंने कहा कि आंकड़े साझा करने वाले व्यक्ति को पता होना चाहिए कि उसके आंकड़ों का उपयोग कहां किया जा रहा है. सिंघवी ने सवाल किया कि इस संबंध में अध्यादेश लाने की क्या जरूरत थी और सरकार को डाटा सुरक्षा कानून लाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि जब सरकार डाटा सुरक्षा कानून लाएगी तो फिर आधार कानून में संशोधन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कई प्रावधान उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है. इसके साथ विधेयक में ऐसे कई प्रावधान हैं जिनमें सरकार को कदम उठाने की जिम्मेदारी दी गयी है जबकि वह कार्य संसद को करना है.