हार के साथ ही कांग्रेस के सामने खड़े हो गए ये 6 बड़े संकट
शनिवार को पार्टी मुख्यालय में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इन्हीं मुद्दों पर चर्चा हुई.
highlights
- मध्य प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान सरकार बचाने की चुनौती
- महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में विधानसभा चुनाव जीतने में आ सकती हैं मुश्किलें
- CWC की बैठक में राहुल गांधी कर चुके हैं इस्तीफे की पेशकश
नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव 2019 में करारी हार के साथ ही कांग्रेस के सामने अब आने वाले दिनों के लिए 6 बड़े संकट खड़े हो गए हैं. पार्टी के सामने हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में अच्छे प्रदर्शन करने की चुनौती है तो दूसरी ओर, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान में सरकार बचाने का भी संकट है. शनिवार को पार्टी मुख्यालय में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इन्हीं मुद्दों पर चर्चा हुई. बताया जा रहा था कि इस बैठक में राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी, जिसे CWC ने नकार दिया.
हरियाणा विधानसभा चुनाव
इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा में पिछली बार से भी शानदार जीत दर्ज की है. पिछले चुनाव में बीजेपी ने 10 में से जहां 7 सीटों पर कब्जा जमाया था, वहीं इस बार के चुनाव में पार्टी ने 10 की 10 सीटें हथिया ली. जानकार मान रहे थे कि कांग्रेस इस बार हरियाणा में अच्छा प्रदर्शन करेगी, लेकिन मोदी लहर के सामने किसी की एक न चली. राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं और मोदी लहर को देखते हुए नहीं लग रहा है कि कांग्रेस वहां वापसी कर पाएगी. 2014 में हरियाणा विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने (BJP) ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार भी बीजेपी के लिए मौके अधिक हैं.
झारखंड विधानसभा चुनाव
झारखंड लोकसभा चुनाव में भी जमकर मोदी लहर चली. यहां की 14 लोकसभा सीटों पर पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने 11 सीटों पर कब्जा जमाया है. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की 37 सीटें अपने नाम की थीं और उसके सहयोगी दल आजसू को 5 सीटों पर जीत मिली थी. लोकसभा चुनाव 2019 के प्रदर्शन को देखते हुए यही लग रहा है कि कांग्रेस की राह आसान नहीं होने जा रही है. पार्टी को कोई चमत्कार ही जीत दिला सकता है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव
महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर बीजेपी और शिवसेना गठबंधन ने 41 सीटों पर धमाकेदार जीत दर्ज कर विरोधियों को पस्त कर दिया है. कांग्रेस ने यहां केवल 5 सीटें जीतीं. महाराष्ट्र के परिणामों को देखकर कहा जा सकता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी और शिवसेना गठबंधन का पलड़ा भारी रहेगा. पिछले विधानसभा चुनाव में 288 सीटों में से बीजेपी 122 सीटें और उसकी सहयोगी शिवसेना ने 63 सीटें जीती थीं. कांग्रेस को सिर्फ 42 सीटें ही मिली थीं. देखना यह है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी कैसे बीजेपी-शिवसेना को रोक सकती है.
मध्य प्रदेश सरकार पर संकट के बादल
पिछले साल नवंबर में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. बसपा के 2 विधायकों के सहयोग से कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनाई. बीजेपी को यहां 109 और निर्दलीय को 4 सीटें मिली थीं. हाल ही में मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधानसभा का सत्र बुलाकर फ्लोर टेस्ट कराए जाने की मांग की थी. पिछले दिनों कैलाश विजयवर्गीय का एक बयान वायरल हुआ था कि अगर आलाकमान की मंजूरी मिल जाए तो मध्य प्रदेश सरकार तत्काल गिरा दी जाएगी. इससे मध्य प्रदेश सरकार पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. कांग्रेस नेताओं को आशंका है कि बीजेपी केंद्र के बाद राज्य की सत्ता पर काबिज होने का दांव चल सकती है.
कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार पर भी संकट
2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 104 सीटे मिली थीं और वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. कांग्रेस को 78, जेडीएस को 37, बसपा को 1, केपीजेपी को 1 और अन्य को 2 सीटे मिली थीं. सबसे बड़ी पार्टी होने चलते बीजेपी ने सरकार तो बना ली पर विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले ही सीएम बीएस येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया था. बाद में कांग्रेस और कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस ने गठबंधन कर राज्य में सरकार बनाई थी, लेकिन अब कुमारस्वामी की सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा बीच-बीच में सरकार पर संकट के दावे करते रहते हैं. लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद ऐसी खबरें आ रही हैं कि मुख्यमंत्री कुमारस्वामी कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी संग मिलकर सरकार बना सकते हैं. हालांकि आधिकारिक रूप से अभी कोई संकेत सामने नहीं आए हैं.
राजस्थान में भी मंडरा रहे हैं संकट के बादल
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद लगातार दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. भाजपा ने राज्य में 24 सीटें जीती, जबकि एक अन्य सीट पर उसकी सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने जीत दर्ज की है. अभी छह माह पहले ही मिली जीत का कांग्रेस यहां कोई फायदा नहीं उठा पाई.
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