Advertisment

मोदी सरकार को 11 मसलों पर घेरेगा कांग्रेस नीत विपक्ष, सितंबर में आगाज

विपक्षी दलों ने 11 सूत्री मांग रखते हुए कहा कि वे सरकार की नीतियों के खिलाफ 20 से 30 सितंबर के बीच राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे.

author-image
Nihar Saxena
New Update
Sonia

सोनिया गांधी समेत समग्र विपक्ष लोकसभा चुनाव लड़ेगा एक साथ.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

कांग्रेस समेत 19 विपक्षी दलों ने पेगासस जासूसी मामला, किसान आंदोलन, महंगाई और कई अन्य मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है. विपक्षी दलों ने 11 सूत्री मांग रखते हुए कहा कि वे सरकार की नीतियों के खिलाफ 20 से 30 सितंबर के बीच राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे. सोनिया गांधी की तरफ से बुलाई गई डिजिटल बैठक के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि सरकार पेगासस मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच कराए, तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करे, महंगाई पर अंकुश लगाए और जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करे. 

विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान में कहा, ‘हम केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के उस रवैये की निंदा करते हैं कि जिस तरह उसने मॉनसून सत्र में व्यवधान डाला, पेगासस सैन्य स्पाईवेयर के गैरकानूनी उपयोग पर चर्चा कराने या जवाब देने से इनकार किया, कृषि विरोधी तीनों कानूनों निरस्त करने की मांग, कोविड महामारी के मिसमैनेजमेंट, महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा नहीं कराई.’ उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से इन मुद्दों और देश एवं जनता को प्रभावित करने वाले कई अन्य मुद्दों की जानबूझकर उपेक्षा की गई.

विपक्षी दलों ने मॉनसून सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में हुए हंगामे का जिक्र करते हुए दावा किया कि विपक्षी सदस्यों के विरोध को रोकने के लिए मार्शलों की तैनाती करके कुछ महिला सांसदों समेत कई सांसदों को चोटिल किया गया और सदस्यों को सदन के भीतर अपनी बात रखने से रोका गया. उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर दिए अपने भाषण में लोगों की पीड़ा से जुड़े एक भी मुद्दे पर बात नहीं की. उनका भाषण सिर्फ बयानबाजी था जिसमें खोखले नारे और दुष्प्रचार था. असल में यह 2019 और 2020 के भाषणों को ही नए तरीके से पेश किया गया था.'

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार के स्तर पर हुए ‘व्यापक कुप्रबंधन’ के कारण लोगों को गहरी पीड़ा से गुजरना पड़ा. संक्रमण के मामलों और मौत के आंकड़ों को भी कम करके बताने की बात भी कई अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय एजेंसियों के संज्ञान में आईं. उन्होंने कोरोना की ‘तीसरी लहर’ की स्थिति से बचने के लिए तेज टीकाकरण पर जोर दिया और कहा कि अभी सिर्फ देश के 11.3 प्रतिशत वयस्कों को टीके की दोनों खुराक दी गई हैं और इस गति से इस साल के आखिर तक सभी वयस्कों का टीकाकरण करने का लक्ष्य हासिल कर पाना असंभव है. विपक्षी दलों ने यह आरोप भी लगाया कि टीकाकरण की ‘मंद गति’ की असली वजह टीकों की कमी है. उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था की ‘बर्बादी’, करोड़ों लोगों के ‘बेरोजगार होने’, गरीबी एवं भूख ‘बढ़ने’ समेत कई अन्य मुद्दों का जिक्र करते हुए कहा कि लोग बहुत ही मुश्किल का सामना कर रहे हैं.

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के बैनर तले चल रहे किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि सरकार आंदोलन के 9 महीनों के बावजूद तीनों कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की कानूनी गारंटी देने की मांग नहीं मान रही है. उन्होंने पेगासस जासूसी मामले को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह बहुत खतरनाक है और संवैधानिक संस्थाओं पर हमला है. विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय संपत्तियों का निजीकरण किया जा रहा है, दलितों, आदिवासियों और महिलाओं पर हमले हो रहे हैं.

उन्होंने सरकार से आग्रह किया, ‘टीका उत्पादन की क्षमता को बढ़ाया जाए, अधिक खरीद की जाए और टीकाकरण की गति तेज की जाए. कोविड के कारण मारे गए लोगों के परिजन को उचित मुआवजा दिया जाए.’ विपक्षी दलों ने यह मांग की कि आयकर के दायरे से बाहर के सभी परिवारों को 7500 रुपये की मासिक मदद दी जाए और जरूरतमंदों को मुफ्त अनाज तथा रोजमर्रा की जरूरत की दूसरी चीजें मुहैया कराई जाएं. विपक्षी पार्टियों ने कहा, ‘पेट्रोलियम उत्पादों, रसोई गैस, खाने में उपयोग होने वाले तेल और दूसरी जरूरी वस्तुओं की कीमतों में कमी की जाए. तीनों किसान विरोधी कानूनों को निरस्त किया जाए और एमएसपी की गारंटी दी जाए.’ उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों का निजीकरण बंद हो, श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाए और कामकाजी तबके के अधिकारों को बहाल किया जाए.

विपक्षी दलों ने सरकार से आग्रह किया, ‘एमएसएमई क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन पैकेज दिया जाए, खाली सरकारी पदों को भरा जाए. मनरेगा के तहत कार्य की 200 दिन की गारंटी दी जाए और मजदूरी को दोगुना किया जाए। इसी तर्ज पर शहरी क्षेत्र के लिए कानून बने.’ उन्होंने कहा कि शिक्षकों, शिक्षण संस्थानों के कर्मचारियों और छात्रों का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण हो.

विपक्षी सदस्यों ने कहा, ‘पेगासस जासूसी मामले की तत्काल उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच कराई जाए। राफेल मामले की भी उच्च स्तरीय जांच हो.’ उन्होंने यह भी कहा कि भीमा कोरेगांव मामले और सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार किए लोगों समेत सभी ‘राजनीतिक बंदियों’ को रिहा किया जाए तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ राजद्रोह/रासुका जैसे ‘अधिनायकवादी’ कानूनों का उपयोग बंद हो और गिरफ्तार मीडियाकर्मियों को रिहा किया जाए. 

विपक्षी पार्टियों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के सभी ‘राजनीतिक बंदियों’ को रिहा किया जाए और इस केंद्रशासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाए तथा जल्द से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराया जाए. उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां 20-30 सितंबर के दौरान पूरे देश में विरोध करेंगी और इन दलों की राज्य इकाइयां विरोध प्रदर्शनों के स्वरूप के बारे में फैसला करेंगी. विपक्षी नेताओं ने कहा, ‘हम 19 दलों के नेता भारत की जनता का आह्वान करते हैं कि हमारे धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य की व्यवस्था की रक्षा के लिए पूरी ताकत के साथ आगे आइए. भारत को बचाइए ताकि हम बेहतर कल के लिए इसे बदल सकें.’

HIGHLIGHTS

  • पेगासस जासूसी कांड से लेकर कृषि कानूनों पर घेरेगा विपक्ष
  • कोविड-19 की स्थिति पर मोदी सरकार लोगों से बोल रही झूठ
  • 2024 का लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ेगा विपक्ष
लोकसभा चुनाव 2024 मोदी सरकार Modi Government Pegasus Snooping Case कांग्रेस किसान कानून विपक्ष पेगासस जासूसी केस congress farm-laws Nationwide Agitation Sonia Gandhi
Advertisment
Advertisment
Advertisment