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किसी भी मुसलमान को हिरासत शिविर में भेजने पर विशाल जनांदोलन होना चाहिए: चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बृहस्पतिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को वैध ठहराने की स्थिति में अगर किसी मुसलमान को हिरासत शिविर में भेजा जाता है तो देश में विशाल जनांदोलन होना चाहिए.

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Deepak Pandey
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किसी भी मुसलमान को हिरासत शिविर में भेजने पर विशाल जनांदोलन होना चाहिए: चिदंबरम

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम( Photo Credit : फाइल फोटो)

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बृहस्पतिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को वैध ठहराने की स्थिति में अगर किसी मुसलमान को हिरासत शिविर में भेजा जाता है तो देश में विशाल जनांदोलन होना चाहिए. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में चिदंबरम ने कहा कि असम में एनआरसी के बाद 19 लाख लोगों का नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी से बाहर रहने के बाद सरकार सीएए लेकर आई ताकि इनमें से 12 लाख हिंदुओं को नागरिकता दी जाए.

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एक छात्र ने सवाल किया कि अगर सीएए को सर्वोच्च न्यायालय वैध ठहराता है तो फिर आगे क्या कदम हो सकता है तो कांग्रेस के नेता पी चिदंबरम ने कहा कि (ऐसी स्थिति में) सूची से बाहर रहने वालों में मुस्लिम होंगे और उनकी पहचान करने, बाहर निकालने या राष्ट्रविहीन घोषित करने का प्रयास होगा. ऐसे में अगर किसी मुसलमान को बाहर निकाला जाता है अथवा उन्हें हिरासत शिविर में रखा जाता है तो विशाल जनांदोलन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मानन है कि सीएए को निरस्त किया जाना चाहिए और राजनीतिक संघर्ष होना चाहिए ताकि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को 2024 के आगे ढकेला जा सके.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस पहुंचे, जहां जेएनयू छात्र संघ और एनएसयूआई ने उनका स्वागत किया. इस दौरान उन्होंने सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि सिर्फ तीन दिन में नागरिकता संशोधन कानून पास किया गया. वे बड़े समझदार हैं.

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पी चिदंबरम ने आगे कहा कि अफगानिस्तान से तो भारत की सीमा भी नहीं मिलती (जबकी जम्मू-कश्मीर पीओके से मिलती है) मोदी सरकार ने सिर्फ 6 धर्मों को चुना है और तीन पड़ोसियों को चुना. जबकी 5 अन्य पड़ोसी भी है और कई धर्म भी जैसे तमिल हिंदू, रोहिंगया, शिया आदि भी हैं. सरकार ने भी कानून में नहीं लिखा कि इन तीन देशों के नागरिक को ही नागरिकता मिलेगी, जबकी बिल में लिखा है कि जो भी इन तीन देशों से आए हो भले ही वो उस देश के नागरिक हो या नहीं उन्हें नागरिकता मिलेगी. सीएए राजनैतिक रूप से लाई गई है.

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