राफेल मामले पर कांग्रेस का CAG पर हमला, राजीव महर्षि सौदे का हिस्सा, ऑडिट से हो अलग: कांग्रेस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने रविवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) राजीव महर्षि से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के करार की ऑडिट प्रक्रिया से खुद को अलग करने की मांग की.
नई दिल्ली:
राफेल डील को लेकर बीजेपी पर हमलावर कांग्रेस ने अब नई मांग रखी है. हितों के टकराव का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने रविवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) राजीव महर्षि से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के करार की ऑडिट प्रक्रिया से खुद को अलग करने की मांग की. कपिल सिब्बल ने कहा, 'चूंकि तत्कालीन वित्त सचिव के तौर पर वह इस वार्ता का हिस्सा थे इसलिए उन्हें ऑडिट प्रक्रिया से खुद को अलग कर लेना चाहिए.' कांग्रेस ने यह भी कहा है कि महर्षि द्वारा संसद में राफेल पर रिपोर्ट पेश करना अनुचित होगा.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अधिकारियों को ध्यान रखना चाहिए कि चुनाव आते जाते हैं, कभी हम विपक्ष में होते हैं और कभी सत्ता में होते हैं. हम ऐसे अधिकारियों पर नजर रखेंगे जो पीएम मोदी के प्रति अपनी वफादारी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं.'
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आपको बता दें कि सोमवार को संसद में विवादित राफेल डील पर सीएजी रिपोर्ट पेश किए जाने की संभावना है.
कांग्रेस ने बयान जारी कर आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने 36 राफेल विमानों की खरीद में राष्ट्रहित और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया है. पार्टी ने कहा कि सीएजी का संवैधानिक और वैधानिक कर्तव्य है कि वह राफेल करार सहित सभी रक्षा अनुबंधों का फरेंसिक ऑडिट करे.
पार्टी ने कहा, 'स्पष्ट तौर पर हितों के टकराव के कारण आपके द्वारा राफेल करार का ऑडिट करना सरासर अनुचित है. संवैधानिक, कानूनी और नैतिक तौर पर आप ऑडिट करने या संसद के समक्ष रिपोर्ट पेश करने के योग्य नहीं हैं. हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप खुद को इससे अलग करें और सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करें कि ऑडिट शुरू कर आपने सरासर अनुचित किया है.’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पत्रकारों को बताया कि महर्षि सोमवार को संसद में राफेल करार पर रिपोर्ट पेश कर सकते हैं. कांग्रेस ने कहा कि महर्षि 24 अक्टूबर 2014 से लेकर 30 अगस्त 2015 तक वित्त सचिव थे और इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अप्रैल 2015 को पैरिस गए और राफेल करार पर दस्तखत की घोषणा की.
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘वित्त मंत्रालय इन वार्ताओं में अहम भूमिका निभाता है. अब स्पष्ट है कि राफेल करार राजीव महर्षि के इस कार्यकाल में हुआ. अब वह सीएजी के पद पर हैं. हमने 19 सितंबर 2018 और चार अक्टूबर 2018 को उनसे मुलाकात की. हमने उन्हें घोटाले के बारे में बताया. हमने उन्हें बताया कि करार की जांच होनी चाहिए क्योंकि यह भ्रष्ट तरीके से हुआ. लेकिन वह अपने ही खिलाफ कैसे जांच करा सकते हैं?’
सिब्बल ने कहा कि वह पहले खुद को और फिर अपनी सरकार को बचाएंगे. इससे बड़ा हितों का टकराव तो कुछ हो ही नहीं सकता.’
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