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जनसंख्या नियंत्रण पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का बयान- गरीबी मिटाने से कंट्रोल होगी पॉपुलेशन

उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक (population control bill uttar pradesh) को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय ( Congress Leader Digvijaya Singh ) सिंह ने बड़ा बयान दिया है.

Updated on: 14 Jul 2021, 10:40 PM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक (population control bill uttar pradesh) को लेकर पूरे देश में शुरू हुई राजनीति बहस ने जोर पकड़ लिया है. इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय ( Congress Leader Digvijaya Singh ) सिंह ने चौंकाने वाला बयान दिया है. दिग्विजय सिंह ने कहा कि शिक्षित लोगों के आमतौर पर 2-3 से अधिक बच्चे नहीं होते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण गरीबी है. गरीबी उन्मूलन और लोगों को शिक्षित करके जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सकता है. यह नीति मैंने 2000 में बनाई थी, 21 साल बाद उन्हें यह समझ में आया है. आपको बता दें कि इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) ने भी यूपी योगी सरकार ( Yogi Government ) द्वरा लाए जा रहे जनसंख्या नियंत्रण कानून पर सवाल ठाया था. नीतीश ने कहा था कि महिलाओं को शिक्षित किए बिना जनसंख्या पर नियंत्रण करना मुश्किल है.

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महंगाई से जनता काफी परेशान है

दिग्विजय सिंह ने इस दौरान महंगाई और पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते दामों को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा. कांग्रेस नेता ने कहा कि महंगाई से जनता काफी परेशान है. उन्होंने कहा कि जब तेल की कीमतों में मामूली सी भी वृद्धि होती थी, तो भाजपा के सदस्य इसका विरोध करते थे. लेकिन अब, ईंधन की कीमतें 110 रुपये को पार कर गई हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क बढ़ाकर 32.5 रुपये और पेट्रोल पर 33 रुपये कर दिया है. उन्होंने जनता को लूटा है.

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कांग्रेस के भीतर ही लामबंदी तेज

वहीं, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह के खिलाफ कांग्रेस के भीतर ही लामबंदी तेज हो गई है. कांग्रेस के नेता ही दिग्विजय सिंह की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे हैं तो वही कई नेता उनके बयानों से नाराज हैं मगर खुलकर बोलने का साहस कम ही लोग जुटा पा रहे हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदूवादी संगठनों के सबसे बड़े विरोधियों के तौर पर दिग्विजय सिंह को पहचाना जाता है। जो अकेले कांग्रेस में ऐसे नेता हैं जो संघ, भाजपा और हिंदूवादी संगठनों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के साथ हमला करने से नहीं चूकते. यही कारण है कि उनकी पहचान अल्पसंख्यक परस्त नेता के तौर पर बनती जा रही है.