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अधीर रंजन चौधरी( Photo Credit : ANI)
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करेंगे. हम पूरे जी जान से इस बिल का विरोध करते हैं. क्योंकि यह हमारे संविधान, धर्मनिरपेक्ष लोकाचार, परंपरा, संस्कृति और सभ्यता का उल्लंघन है. धर्म के आधार पर नागरिकता देना कहीं से सही नहीं हो सकता. हम इस बिल का पूरे दम के साथ विरोध करेंगे.
Congress leader Adhir Ranjan Chowdhury: We will oppose the #CitizenshipAmendmentBill tooth and nail because it is in violation of our Constitution, secular ethos, tradition, culture and civilization. pic.twitter.com/r7NIM5xhRg
— ANI (@ANI) December 8, 2019
वहीं केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधन बिल पेश करने की तैयारी में है. नागरिकता संशोधन बिल का पूर्वोत्तर के राज्य विरोध कर रहे हैं. पूर्वोत्तर के लोग इस बिल को राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत से खिलवाड़ बता रहे हैं.
क्या है नागरिकता संशोधन बिल
नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा रहा है, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा. नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा.
कम हो जाएगी निवास अवधि
भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं. नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है.
संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का पारित होना निश्चित तौर पर महात्मा गांधी के विचारों पर मोहम्मद अली जिन्ना के विचारों की जीत होगी. यह बात रविवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कही थी. थरूर ने कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत पाकिस्तान का हिंदुत्व संस्करण भर बनकर रह जाएगा. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार एक समुदाय को निशाना बना रही है और दूसरे धर्मों की तुलना में उस समुदाय के लोगों की उन्हीं स्थितियों में उत्पीड़न पर उन्हें शरण नहीं दे रही है. थरूर ने कहा कि अगर विधेयक को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया भी जाता है तो उन्हें विश्वास है कि उच्चतम न्यायालय की कोई भी पीठ भारत के संविधान की मूल भावना का घोर उल्लंघन नहीं होने देगी.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो