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सोनिया गांधी ने PM मोदी को लिखा पत्र, ब्लैक फंगस की दवाई की कमी पर जताई चिंता

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने ब्लैक फंगस की दवा की कमी पर चिंता जाहिर कि है.

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Vineeta Mandal
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Congress interim chief Sonia Gandhi

Congress interim chief Sonia Gandhi( Photo Credit : फाइल फोटो)

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कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने ब्लैक फंगस की दवा की कमी पर चिंता जाहिर कि है. सोनिया गांधी ने पत्र लिखकर पीएम मोदी से अनुरोध किया कि म्यूकर मायकोसिस यानी ब्लैक फंगस का कहर बढ़ता जा रहा है, ऐसे में ब्लैक फंगस से निपटने के लिए पर्याप्त दवाओं का इंतजाम किया जाए. सोनिया गांधी पीएम को Liposomal Amphotericin-B की भारी कमी पर कार्रवाई करने और आयुष्मान भारत जैसे अन्य स्वास्थ्य बीमा में म्यूकोरमाइकोसिस को कवर करने का अनुरोध किया है.

बता दें कि इससे पहले सोनिया गांधी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया था कि महामारी के दौरान जिन बच्चों ने अपने माता-पिता खो गए हैं, उनका दाखिला नवोदय विद्यालय में कराया जाए.

उन्होंने लिखा, "मैं आपसे अनुरोध करने के लिए लिख रहा हूं कि आप उन बच्चों को नवोदय विद्यालयों में मुफ्त शिक्षा दिए जाने पर विचार करें, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण माता-पिता या माता-पिता में से किसी एक कमाने वाले को खो दिया है. मुझे लगता है कि एक राष्ट्र के रूप में, हम उनके ऋणी हैं. उन्हें उनके साथ जो अकल्पनीय त्रासदी हुई है, उसके बाद उन्हें मजबूत भविष्य की उम्मीद दें." सोनिया ने कहा कि महामारी से हुई तबाही और प्रभावित परिवारों द्वारा झेली जा रही दिल दहला देने वाली त्रासदियों के बीच, छोटे बच्चों के माता-पिता में से कोई एक या दोनों को कोविड-19 के कारण खोने की खबर सबसे मार्मिक है. बच्चों को नुकसान के आघात के साथ छोड़ दिया जाता है और स्थिर शिक्षा या भविष्य के लिए कोई सहयोग नहीं मिलता है.

और पढ़ें: अब नई आफत : ब्लैक फंगस के बाद आया व्हाइट फंगस, है इतना ज्यादा खतरनाक

ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करें

 केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897 के तहत म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस को एक उल्लेखनीय बीमारी घोषित करने की अपील की है. मंत्रालय ने यह भी सलाह दी है कि सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ मेडिकल कॉलेजों को म्यूकोर्मिकोसिस की जांच, निदान और प्रबंधन पर इसके और आईसीएमआर द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए.

मंत्रालय ने कहा कि म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस एक फंगल संक्रमण के कारण होने वाली जटिलता है. लोग वातावरण में कवक बीजाणुओं के संपर्क में आने से म्यूकोर्मिकोसिस पकड़ लेते हैं. एक कट, खरोंच, जलन, या अन्य प्रकार के त्वचा आघात के माध्यम से त्वचा में प्रवेश करने के बाद त्वचा पर म्यूकोर्मिकोसिस भी विकसित हो सकता है.

मंत्रालय के मुताबिक, इस बीमारी का पता उन मरीजों में लगाया जा रहा है जो कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं या ठीक हो चुके हैं. तेलंगाना और राजस्थान पहले ही म्यूकोर्मिकोसिस को महामारी घोषित कर चुके हैं. कर्नाटक, उत्तराखंड, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा और बिहार सहित देश के विभिन्न हिस्सों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं.

म्यूकोर्मिकोसिस, जो मुख्य रूप से कोविड-19 से उबरने वाले लोगों को प्रभावित कर रहा है, ने राष्ट्रीय राजधानी में भी कई लोगों को संक्रमित किया है, क्योंकि यह कोरोनोवायरस के उपचार में स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल के कारण होता है. हरियाणा सरकार ने 18 मई को 'हरियाणा महामारी रोग (म्यूकोर्मिकोसिस) विनियम, 2021' नामक नियम भी बनाए.

 

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