उद्धव ठाकरे को सीएम बने नहीं हुए 24 घंटे, मंत्रालयों के बंटवारे पर कांग्रेस हो गई नाराज

पेंच कुछ अहम मंत्रालयों को लेकर फंस गया है. कांग्रेस उस पर अपना हक जता रही है, जबकि शिवसेना उन पर से अपना दावा छोड़ने को फिलहाल तैयार नहीं है.

पेंच कुछ अहम मंत्रालयों को लेकर फंस गया है. कांग्रेस उस पर अपना हक जता रही है, जबकि शिवसेना उन पर से अपना दावा छोड़ने को फिलहाल तैयार नहीं है.

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Nihar Saxena
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उद्धव ठाकरे को सीएम बने नहीं हुए 24 घंटे, मंत्रालयों के बंटवारे पर कांग्रेस हो गई नाराज

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में पहली बार शिवसेना की सरकार बनी है.( Photo Credit : (फाइल फोटो))

महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी के समर्थन से बनी शिवसेना की सरकार को लेकर जैसी आशंकाएं जताई जा रही थीं, उसका असर नई सरकार के शपथ लेने के 24 घंटे के भीतर ही दिखने लगा है. सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय के बंटवारे और डिप्टी सीएम पद को लेकर कांग्रेस नाराज हो गई है. बताते हैं कि पेंच कुछ अहम मंत्रालयों को लेकर फंस गया है. कांग्रेस उस पर अपना हक जता रही है, जबकि शिवसेना उन पर से अपना दावा छोड़ने को फिलहाल तैयार नहीं है. राजनीतिक पंडित भी इसी बात की आशंका जता रहे थे कि उद्धव के लिए सरकार से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण त्रिकोणीय गठबंधन को साधे रखना होगा.

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गठबंधन के तीनों सहयोगियों ने अहम मंत्रालयों पर दावा ठोका
गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद जब बीजेपी-शिवसेना की सरकार नहीं बनी और शिवसेना ने एनसीपी की तरफ हाथ बढ़ाया, तभी से यह आशंका जताई जाने लगी थी कि अगर किसी तरह बेमेल गठबंधन से सूबे में सरकार बन भी गई तो उसका भविष्य क्या होगा? अब वही सारी बातें सच होती दिख रही हैं. सूत्रों का कहना है कि कई दौर की बैठकों के बाद भी मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर फैसला नहीं हो सका है. गठबंधन के तीनों साझेदारों ने ही गृह, शहरी विकास, राजस्व, आवास और कई मंत्रालयों पर दावा ठोका है.

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केंद्रीय नेतृत्व को करना पड़ सकता है हस्तक्षेप
सूत्रों का कहना है कि इस गतिरोध को दूर करने के लिए शरद पवार और सोनिया गांधी तक को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है. हालांकि इस गतिरोध को लेकर कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं है. सूत्रों का यही कहना है कि समय रहते ही सभी विवाद सुलझा लिए जाएंगे. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद बदले घटनाक्रम में जब तय हो गया था कि शिवसेना सरकार बनाने जा रही है, तभी से न्यूनतम साझा कार्यक्रम और सरकार गठन के संभावित फॉर्मूले को लेकर कयास लगने लगे थे.

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अशोक चव्हण और पृथ्वीराज चव्हाण की अनदेखी से भी नाराजगी
सूत्रों का कहना है कि राज्य के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने स्पीकर पद लेने से इंकार कर दिया था. इसके बाद कांग्रेस ने डिप्टी सीएम और एक अतिरिक्त मंत्री पद की मांग रखी थी. यही नहीं, अब तक पूर्व सीएम अशोक चव्हाण को किसी भी मंत्रालय की जिम्मेदारी न मिलने से भी कांग्रेस का एक धड़ा निराश है. इस धड़े के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण को कैबिनेट में जगह दी जानी चाहिए थी. हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे सरकार के मंत्रिमंडल के विस्तार में इन नेताओं को स्थान दिया जाएगा.

HIGHLIGHTS

  • डिप्टी सीएम और अहम मंत्रालयों के बंटवारे पर फंसा पेंच.
  • उद्धव के लिए सरकार से ज्यादा गठबंधन साधना चुनौती.
  • मसला सुलझाने केंद्रीय नेतृत्व कर सकता है हस्तक्षेप.
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