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भारी वित्तीय संकट से जूझ रही है कांग्रेस, कई राज्यों से लगाई मदद की गुहार

भारत की सबसे पुरानी और मजबूत पार्टी कांग्रेस अब डगमगाने लगी है. एक तरफ जहां उसे चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ अब ये वित्तीय रूप से भी कमजोर पड़ रही है.

Updated on: 20 Feb 2021, 07:14 PM

नई दिल्ली:

भारत की सबसे पुरानी और मजबूत पार्टी कांग्रेस (Congress) अब डगमगाने लगी है. एक तरफ जहां उसे चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ अब ये वित्तीय रूप से भी कमजोर पड़ रही है. दरअसल, कांग्रेस पार्टी भारी वित्तीय संकट (financial crisis ) से जूझ रही है. इससे उबरने के लिए कांग्रेस ने उन राज्यों को SOS मैसेज भेजे है, जहां उनकी पार्टी की सरकार है. वहीं AICC के रणनीतिका छत्तीसगढ़, पंजाब और महाराष्ट्र के मजबूत नेताओं से मुलाकात कर उनसे मदद की बात कह रहे हैं.  खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले दिनों AICC में संगठन को मजबूत करने के के नाम पर बैठक बुलाई गई.

इस बैठक में कांग्रेस के बड़े नेताओं को इस दिशा में बात करते हुए देखा गया. पार्टी को इस वित्तीय संकट से निकलने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने AICC को हिदायत दी है कि वो मुसीबत से निपटने के लिए कांग्रेस शासित राज्यों के नेताओं से बात करें और उन्हें इस वित्तीय संकट से रूबरू कराएं. 

इसी साल 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी अभी पैसे की कमी से जूझ रही है. CWC की बैठक में भी पार्टी फंड का मसला उठा था. गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले कांग्रेस संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कांग्रेस समर्थित सरकार (महाराष्ट्र झारखंड)  प्रदेशों के मंत्री को दिल्ली तलब किया था और पार्टी फंड के मुद्दे पर चर्चा हुई थी.

कांग्रेस की पुडुचेरी, पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान में सरकार है.  छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को असम में सीनियर आब्जर्वर बनाया गया है तो वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को केरल की जिम्मेदारी दी गई है.

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि आने वाले दिनों में जिन राज्यों में चुनाव होने है और उनमें अच्छे से चुनाव लड़ना है तो पैसों की व्यवस्था करनी ही पड़ेगी.  बता दें कि पश्चिम बंगाल समेत पुडुचेरी, केरल, तमिलनाडु और केरल में विधानसभा चुनाव होने है और अगर इन राज्यों में कांग्रेस को अपनी जीत पक्की करनी है तो इसके लिए उन्हें अपनी तैयारी मजबूत करनी ही पड़ेगी. 

सूत्रों के मुताबिक, अगर कांग्रेस शासित राज्यों से पूरी तरह मदद नहीं मिला तो पार्टी को अपने एमपी और एमलए से भी मदद की गुहार लगानी पड़ेगी. गौरतलब है कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2014) में कांग्रेस की करारी हार के बाद वो लगातार और सिमटता ही जा रहा है. यहां तक मजबूत विपक्ष के रूप में भी वो खुद को स्थापित नहीं कर पा रहा है. कांग्रेस की कमजोर होती पहचान भी उसके वित्तीय संकट का बड़ा कारण है, क्योंकि उद्योगपतियों की तरफ से उन्हें बीजेपी की तुलना में कम मदद मिल पा रही है.