एन डी गुप्ता की राज्यसभा उम्मीदवारी रद्द करने की मांग को AAP ने बताया ओछा

कांग्रेस पार्टी ने लाभ का पद धारण करने के आधार पर दिल्ली से आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा उम्मीदवार एन. डी. गुप्ता की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की है।

कांग्रेस पार्टी ने लाभ का पद धारण करने के आधार पर दिल्ली से आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा उम्मीदवार एन. डी. गुप्ता की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की है।

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एन डी गुप्ता की राज्यसभा उम्मीदवारी रद्द करने की मांग को AAP ने बताया ओछा

कांग्रेस नेता अजय माकन (फाइल फोटो)

कांग्रेस पार्टी ने लाभ का पद धारण करने के आधार पर दिल्ली से आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा उम्मीदवार एन. डी. गुप्ता की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की है। जबकि आप ने कहा है कि इसके उम्मीदवार ने नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया था।

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दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने एक ट्वीट में शनिवार को कहा, 'कांग्रेस ने आप के राज्यसभा उम्मीदवार एन. डी. गुप्ता की उम्मीदवारी पर आपत्ति दाखिल की है।' माकन ने दिल्ली से राज्यसभा के लिए 16 जनवरी को होने वाले चुनाव के लिए नियुक्त निर्वाचन अधिकारी को भी अपना पत्र भेजा है।

गुप्ता को बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का समर्थक बताते हुए माकन ने कहा कि उन्हें 30 मार्च, 2015 को सरकार के स्वामित्व वाले 1.75 लाख करोड़ रुपये के राष्ट्रीय पेंशन योजना ट्रस्ट का न्यासी नियुक्त किया गया था और 'वह अभी भी लाभ के उस पद पर बने हुए हैं। वह उम्मीदवारी के अयोग्य हैं।'

आम आदमी पार्टी के तीन उम्म्मीदवारों ने गुरुवार को राज्यसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया, जिनमें पार्टी नेता संजय सिंह, व्यवसायी सुशील गुप्ता और चार्टर्ड अकांउटेंट एन. डी. गुप्ता शामिल हैं।

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माकन ने चुनाव अधिकारी को लिखे अपने पत्र में कहा, 'संविधान के अनुच्छेद 102 के तहत जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 36 के अनुसार लाभ का पद धारण करने के लिए नारायण दास गुप्ता की उम्मीदवारी रद्द होनी चाहिए।'

उन्होंने कहा कि ट्रस्ट की ओर से महत्वपूर्ण सरकारी कार्य का संपादन किया जाता है, क्योंकि यह लाखों सरकारी कर्मचारियों के पेंशन का संरक्षक है। दूसरे शब्दों में यह वित्त मंत्रालय और पेंशन विभाग का ही विस्तार है।

इस प्रकार, एन. डी. गुप्ता द्वारा धारण किए गए एनपीएस के न्यासी का पद एक लाभ का पद है, जो असल में सरकार के कार्यों का निष्पादन करता है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री माकन ने कहा कि न्यासी का पद वेतन, परिलब्लियां, अनुलाभ व सुविधाओं के लिए अधिकृत है। यह पद संसद (अयोग्यता निवारण) के अधिनियम 1959 के तहत संरक्षित नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 102 को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।

आप नेता राघव चड्ढा ने माकन की आपत्तियों का खंडन किया और कहा कि गुप्ता ने एनपीएस के न्यासी पद से 29 दिसंबर, 2017 को ही इस्तीफा दे दिया था।

चड्ढा ने एक ट्वीट में कहा, 'संसद (अयोग्यता निवारण) के अधिनियम 1959 की धारा 3 उपबंध (एल) में न्यास को लाभ के पद के तहत अयोग्यता की छूट प्रदान की गई है। साथ ही, चुनाव अधिकारी लाभ के पद को लेकर निर्णय लेने के लिए समक्ष प्राधिकारी नहीं हैं। बल्कि सक्षम प्राधिकार चुनाव आयोग है।'

उन्होंने कहा, 'औचित्य की भावना से एन. डी. गुप्ता ने प्रतिष्ठित एनपीएस ट्रस्ट से 29 दिसंबर, 2017 को ही इस्तीफा दे दिया था। इससे दिल्ली की राजनीति में प्रसांगिक रहने की कोशिश करने वालों द्वारा ओछे ढंग से की जारी शिकायतों व विवादों पर विराम लगेगा।'

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Source : IANS

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