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राजस्थान सियासी संकट से निकलने के लिए कांग्रेस अपना सकती है ये 4 विकल्प, पढ़े यहां

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए होने जा रहे चुनाव से पहले राजस्थान में सियासी संकट खड़ा हो गया है. अशोक गहलोत गुट के विधायक सचिन पायलट को मुख्यमंत्री स्वीकार करने के तैयार नहीं हैं. ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व के सामने संकट खड़ा हो गया है.

Updated on: 26 Sep 2022, 01:37 PM

नई दिल्ली:

Rajasthan Political Crisis: कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए होने जा रहे चुनाव ने राजस्थान की सियासत में भूचाल ला दिया है. जैसा कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने वाले हैं, ऐसे में अगर वह पार्टी के मुखिया चुने जाते हैं तो उनको मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ेगा. इस स्थिति में सचिन पायलट राजस्थान के अगले सीएम के तौर पर प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. क्योंकि सचिन पायलट राहुल गांधी के काफी करीबी माने जाते हैं, इस लिहाज से  कांग्रेस आलाकमान भी उनको मुख्यमंत्री बनाने की इच्छुक दिखती है. लेकिन सीएम पद के लिए सचिन पायलट का नाम पेश करते ही गहलोत खेमे के विधायक बगावत पर उतर आए हैं. उन्होंने साफ कर दिया है कि वह सचिन पायलट को किसी कीमत पर मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं कर सकते फिर चाहे इसके लिए उनको किसी भी हद तक क्यों न जाना पडे़. 

गहलोत गुट के विधायकों ने दिया इस्तीफा

यही नहीं जयपुर में नए सीएम के नाम पर फैसला लेने के लिए रखी गई विधायक दल की बैठक से पहले गहलोत गुट के 82 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. जिसने राजस्थान की सियासत में घमासान मचा दिया है. हालांकि कांग्रेस आलाकमान ने मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को नाराज विधायकों के मनाने और अशोक गहलोत से बात करने को कहा है लेकिन हालात अभी बेकाबू ही दिखाई पड़ रहे हैं. ऐसे में राजस्थान के ताजा हालातों का प्रभाव कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव और राज्य की राजनीति दोनों पर पड़ता नजर आ रहा है. देश की राजनीति पर पैनी नजर रखने वालों की मानें तो वर्तमान महौल को देखते हुए कांग्रेस इस सियासी संकट को दूर करने के लिए चार कदम उठा सकती है.

  1.  क्योंकि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के अनिच्छुक है और ऐसे में कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व अगर अध्यक्ष पद को लिए किसी दूसरे नेता का चुनाव करे.  या फिर जैसा कि वह चाहते हैं उनको मुख्यमंत्री और अध्यक्ष पद दोनों संभालने दिया जाए. जब तक कि वह दोनों जिम्मेदारी संभालने में खुद ही हाथ नहीं खडे़ कर देते. 
  2. कांग्रेस अशोक गहलोत के विश्वास पात्र को ही राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री बनाए. जयपुर में डटे कांग्रेस नेताओं की मानें तो यह सरकार की निरंतरता सुनिश्चित करेगा और विधायकों के किसी भी विद्रोह को रोकेगा। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इसका मतलब यह होगा कि गहलोत राजस्थान सरकार चलाते रहेंगे। हालांकि, इसका परोक्ष रूप से मतलब यह है निकाला जाएगा कि गहलोत समर्थित विधायकों ने न केवल आलाकमान की नाफरमानी की, बल्कि केंद्रीय नेतृत्व को नीचा भी दिखाया.
  3. कांग्रेस नेतृत्व अशोक गहलोत को विश्वास में ले और उनको बगावती विधायकों को मनाने का जिम्मा सौंपे ताकि वो सचिन पायलट को अगला मुख्यमंत्री स्वीकार करें. इस तरह से कांग्रेस सचिन पायलट को अगला मुख्यमंत्री नियुक्त करे. हालांकि कांग्रेस नेताओं का मानना है कि ऐसा करना पार्टी के लिए एक टेढ़ी खीर है. क्योंकि बगावत करने वाले विधायक सचिन को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार करने के तैयार नहीं हैं. हालांकि कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत से स्पष्ट कह दिया है कि विधायक पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है. 
  4. इन सबके अलावा कांग्रेस मुख्यमंत्री पद के लिए किसी ऐसे नेता का नाम पेश करे, जो गहलोत और पायलट दोनों को ही स्वीकार्य हो. हालांकि अगर कांग्रेस इस विकल्प कर काम करती है तो यह सचिन पायलट के लिए एक बार फिर घाटे का सौदा साबित होगा.