पंजाब में मजबूत होती कांग्रेस, बीजेपी को हरा 'गढ़' में की वापसी
कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले इस सीट पर पार्टी ने बीजेपी को करारी शिकस्त देते हुए कब्जा कर लिया है। पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद यह पार्टी के लिए दूसरी बड़ी सफलता है, जहां उसने सीधी टक्कर में बीजेपी को करारी शिकस्त दी है।
highlights
- कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले इस सीट पर पार्टी ने बीजेपी को करारी शिकस्त देते हुए कब्जा कर लिया है
- पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद यह पार्टी के लिए दूसरी बड़ी सफलता है, जहां उसने सीधी टक्कर में बीजेपी को करारी शिकस्त दी है
नई दिल्ली:
विनोद खन्ना की मौत के बाद पंजाब की गुरदासपुर सीट पर हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को करारा झटका लगा है।
कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले इस सीट पर पार्टी ने बीजेपी को करारी शिकस्त देते हुए कब्जा कर लिया है। कांग्रेसी उम्मीदवार सुनील जाखड़ ने बीजेपी के उम्मीदवार स्वर्ण सिंह सलारिया को एक लाख 93 हजार 219 मतों से मात दी है।
पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद यह पार्टी के लिए दूसरी बड़ी सफलता है, जहां उसने सीधी टक्कर में बीजेपी को करारी शिकस्त दी है।
हालांकि इस सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार होने की वजह से मुकाबल त्रिकोणीय रहा। चुनाव में आप तीसरे स्थान पर रही। जबकि बीजेपी दूसरे स्थान पर।
गुरदासपुर सीट पर कांग्रेस की जीत की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा सीट बनने के बाद से इस सीट पर लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा है।
कांग्रेस की गढ़ में वापसी
1952 से लेकर 1971 तक इस सीट पर लगातार कांग्रेस जीतती रही। हालांकि आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में इस सीट पर पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा लेकिन इसके बाद 1980 में हुए चुनाव में पार्टी फिर से इस सीट पर कब्जा करने में सफल रही।
1980 के बाद से 1996 तक पार्टी इस सीट पर बनी रही लेकिन 1998 के चुनाव में यह जीत का सिलसिला बीजेपी उम्मीदवार विनोद खन्ना की जीत से टूट गया।
खन्ना इसके बाद लगातार तीन टर्म (1998,1999 और 2004) तक इस सीट से सांसद रहे। इसके बाद 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार प्रताप सिंह बाजवा ने विनोद खन्ना को हराया लेकिन 2014 के चुनाव में 'मोदी लहर' में पार्टी यह सीट नहीं बचा पाई।
2014 के चुनाव में खन्ना एक बार फिर से इस सीट से जीतने में सफल रहे। हालांकि 27 अप्रैल 2017 को लंबी बीमारी की वजह से उनका निधन होने की वजह से यह सीट खाली हो गई।
2014 के बाद मजबूत हुई कांग्रेस
2014 के आम चुनाव में जहां बीजेपी को पंजाब में जबरदस्त सफलता मिली थी और बीजेपी-शिरोमणि अकाली दल का गठबंधन कुल 13 सीटों में से 6 सीटों पर जीतने में सफल रहा, जिसमें से बीजेपी को दो सीटें जबकि अकाली दल को 4 सीटों पर सफलता मिली।
वहीं पहली बार पंजाब में चुनाव लड़ रही आप को 4 सीटों पर सफलता मिली जबकि कांग्रेस को पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2014 में 5 सीटों का नुकसान हुआ और वह सिमटकर 3 सीटों पर आ गई।
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कुल 8.77 फीसदी मत मिले जबकि अकाली दल को 26.67 फीसदी मिले।
समग्र तौर पर देखा जाए तो अकाली-बीजेपी गठबंधन को कुल 35.44 फीसदी मत मिले वहीं कांग्रेस 33.19 फीसदी मत मिले। लेकिन यह सिलसिला 2017 के विधानसभा चुनाव में पलट गया।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली सफलता के लिए 'मोदी लहर' को जिम्मेदार माना गया लेकिन 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी करते हुए पंजाब में अपनी सरकार बनाई।
2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 38.5 फीसदी मत मिले जो लोकसभा चुनाव में मिले मत प्रतिशत से ज्यादा था वहीं बीजेपी को 5.4 फीसदी मत मिले जबकि गठबंधन सहयोगी अकाली दल को 25.2 फीसदी मत मिले।
2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2017 के पंजाब विधानसभा में बीजेपी गठबंधन को न केवल सीटों का नुकसान हुआ बल्कि उसके मत प्रतिशत में गिरावट आई वहीं कांग्रेस की सीटों में बढ़ोतरी के साथ मत प्रतिशत में भी बढ़ोतरी हुई।
2017 में उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को शानदार सफलता मिली लेकिन इसके बाद हुए उप-चुनाव में उसे जीत के साथ हार का मुंह देखना पड़ा है।
हाल ही में दिल्ली की बवाना सीट पर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को हराया वहीं बंगाल में हुए विधानसभा उप-चुनाव में कांग्रेस के हाथों उसे हार का सामना करना पड़ा है।
पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा उप-चुनाव के नतीजे ऐसे समय में सामने आए हैं, जब चुनाव आयोग हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा कर चुका है और अगले कुछ दिनों में गुजरात में विधानसभा चुनाव की घोषणा की जानी है।
गुजरात में कांग्रेस पहले से ही आक्रामक है, ऐसे में गुरदासपुर की जीत पार्टी के मनोबल को बढ़ाने का काम करेगी वहीं दिल्ली की बवाना सीट के बाद पंजाब में मिली हार बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकती है।
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