जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन टूटने के बाद पहली बार जम्मू पहुंचे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा।
अमित शाह ने शनिवार को कांग्रेस से उसके वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और सैफुद्दीन सोज द्वारा कश्मीर पर दिए गए बयान के लिए माफी मांगने के लिए कहा और इसके साथ ही शाह ने कांग्रेस को दोनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की चुनौती भी दी।
शाह ने कहा, 'भारतीय जनता पार्टी द्वारा पीडीपी-नीत गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के बाद, कांग्रेस ने चुनाव के लिए 'अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया'।'
उन्होंने कहा, 'सभी को एहसास है कि जल्द ही यहां चुनाव होंगे। बीजेपी जहां 'भारत माता की जय' का नारा बुलंद करती है, वहीं कांग्रेस ने चुनाव की चाहत में अपने असली रंग दिखाने शुरू कर दिए हैं।'
कांग्रेस से कार्रवाई की मांग
शाह ने कहा, 'राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने जो बयान दिया था, वह यहां मैं दोहरा भी नहीं सकता। और इसके तत्काल बाद लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) ने उनके बयान का समर्थन किया।'
अमित शाह ने कहा कि आज पूरा देश राहुल गांधी से जानना चाहता है कि लश्कर-ए-तैयबा और गुलाम नबी आजाद के विचार एक समान कैसे हो जाते हैं, ऐसा क्या रिश्ता है?
गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि 'भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से ज्यादा नागरिकों को मार रही है।'
शाह ने कांग्रेस के नेता सैफुद्दीन सोज के बयान को भी आड़े हाथ लिया।
सोज ने कहा था कि पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का बयान सही था कि कश्मीरी नागरिक आजादी पसंद करेंगे।
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बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, 'बीजेपी ऐसा कभी नहीं होने देगी। जम्मू एवं कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और यह बदल नहीं सकता।'
उन्होंने कांग्रेस से दोनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने और दोनों के बयान के लिए देश से माफी मांगने की मांग की।
गठबंधन टूटने पर शाह का बयान
सरकार से अलग होने के मुद्दे पर अमित शाह ने कहा, 'हमारे लिए सरकार में होने या ना होने से फर्क नहीं पड़ता, जम्मू और कश्मीर का विकास और उसकी सलामती ही हमारा एकमात्र उद्देश्य है।'
अमित शाह ने कहा, 'जम्मू और लद्दाख क्षेत्र में बराबर विकास नहीं किया गया, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने पैसा भेजा लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं किया गया। दोनों जगहों पर समान विकास नहीं होने के कारण हमने सरकार से अलग होने का फैसला किया।'
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बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, 'हमने कश्मीरी पंडितों के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जो कि 40 सालों से अपने घरों से बाहर हैं, लेकिन पीडीपी ने उन्हें कुछ नहीं दिया।'
उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर की आशा, अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हजारों करोड़ों रुपए के रुके हुए विकास कार्यों को गति देना राज्यपाल शासन की पहली प्राथमिकता हो।'
श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान को सराहा
अमित शाह ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर के लिए आंदोलन की, लेकिन कश्मीर में उनकी हत्या कर दी गई। श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान देश के लिए जीने मरने वाले युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
अमित शाह ने कहा, 'आज जम्मू-कश्मीर भारत के साथ जुड़ा हुआ है तो वह डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान के कारण जुड़ा है।'
शाह ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर भारत का अटूट हिस्सा है इसे भारत से कभी अलग नहीं होने देंगे, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसे खून से सींचा है।'
इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष ने हाल ही में राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी की हत्या की निंदा की और कहा कि इस पर हमने सोचा कि सत्ता में रहने से अच्छा है कि हम विपक्ष में रहें।
अमित शाह ने कहा कि बीजेपी शासन के दौरान कश्मीर में कई विकास के कार्य किए गए। जिसमें जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री राहत विकास पैकेज के तहत 63 विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य जारी है।
उन्होंने कहा कि राज्य में इस दौरान 2 एम्स, आईआईएम, आईआईटी, जन संचार संस्थान और 5 चिकित्सा महाविद्यालय स्वीकृत किए गए।
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Source : News Nation Bureau