कांग्रेस ने मोदी सरकार के बिजली मंत्रालय के तहत संयुक्त उद्यम ईईएसएल पर एलईडी बल्ब लगाने के मामले में 20 हजार करोड़ रूपये का घोटाला करने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही कांग्रेस ने मांग की है कि इस पूरे मामले को उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की देखरेख में जांच करवायी जाए।
कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने सोमवार को संसद भवन में पार्टी के संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बिजली मंत्रालय के तहत सार्वजनिक उपक्रमों को मिलाकर एक संयुक्त उद्यम एनर्जी एफिशियेंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) बनाया गया था। इस उद्यम का उद्येश्य देशभर में एलईडी बल्बों के प्रयोग को बढ़ावा देना है।
उन्होंने कहा कि राजग सरकार के शासन काल में ईईएसएल भ्रष्टाचार का एक मंच बन गयी है। ईईएसएल निविदा प्रक्रिया के मामले में वित्त मंत्रालय और सतर्कता आयोग के मानकों एवं निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए अपनी निजी वेबसाइट पर निविदाएं मंगा रही है।
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उन्होंने इसमें 20 हजार करोड़ रूपये का घोटाला होने का आरोप लगाते हुए उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से इसकी जांच कराने की मांग की।
गोहिल ने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मेक इन इंडिया जैसी पहल करने का दावा कर रहे हैं वहीं ईईएसएल चीन और ताइवान के बने एलईडी लगा रही है। उन्होंने कहा कि दोयम दर्जे के एलईडी लगाने से लोगों के स्वास्थ्य विशेषकर आंखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
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गोहिल ने कहा कि माना जाता है कि एलईडी लगाने पर बिजली के खर्च में करीब 50 प्रतिशत की कमी आती है। बिजली के बिल में जो कमी आती है उसका कुछ हिस्सा ईईएसएल को मिलता है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने नवसारी नगर निगम से इस बारे में जानकारी एकत्र की। इसके तहत यह पाया गया कि वहां ईईएसएल द्वारा एलईडी लगवाये जाने के बाद भी बिजली का बिल लगातार बढ़ता गया। उन्होंने कहा कि यदि एलईडी की गुणवत्ता अच्छी न हो तो बिजली का बिल कम होने के बजाय बढ़ता है।
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HIGHLIGHTS
- ईईएसएल चीन और ताइवान के बने एलईडी लगा रही है।
- गोहिल ने कहा कि माना जाता है कि एलईडी लगाने पर बिजली के खर्च में करीब 50 प्रतिशत की कमी आती है।
Source : New State