भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बिहार इकाई के अध्यक्ष और सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने मंगलवार को कांग्रेस और टीएमसी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जेपीसी या स्टैंडिंग कमेटी का यह प्रावधान होता है कि कोई भी विषय सबसे पहले लोकसभा अध्यक्ष के संज्ञान में लाया जाता है।
उन्होंने कहा कि जब तक संपूर्ण रिपोर्ट संसदीय पटल पर नहीं रखी जाती, तब तक मामले को गोपनीय रखा जाता है। बाहर इस पर कोई चर्चा नहीं होती, लेकिन पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहने के बावजूद सोमवार को जिस तरह से जयराम रमेश और मनीष तिवारी आदि ने पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल पर बयानबाजी की है, वह पूरी तरह से संसदीय परंपराओं और मर्यादा का उल्लंघन है।
जायसवाल ने पटना में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन मंे कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में भी कांग्रेस निर्थक राजनीति करने से बाज नहीं आती। इस बिल पर विपक्ष की आपत्तियों को खारिज करते हुए डॉ जायसवाल ने कहा कि कांग्रेस की देशहित के सभी मामलों में बेफिजूल की शंकाओं से सहारे अड़ंगा डालने की आदत हो गयी है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की आपत्ति है कि इस बिल में संदिग्ध व्यक्ति की जांच के लिए चेयरमैन से अनुमति लेने का प्रावधान डाला जाए। यानी वह चाहते हैं कि संदेह होने पर भी त्वरित कार्रवाई के बजाए सुरक्षा एजेंसियां प्रक्रियाओं में उलझी रहें।
उन्होंने कांग्रेस से सवाल पूछा कि कांग्रेस बताये कि यदि इस बीच संदिग्ध व्यक्ति ने अपने काम को अंजाम दे दिया तो क्या गांधी परिवार उसकी जिम्मेवारी लेगा?
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष की एक और आपत्ति है कि इसमें राज्यों को भी भागीदार बनाते हुए उन्हें जिम्मेदारी बांटी जाए, जो कि व्यवहारिक रूप से संभव ही नहीं है।
इस पूरे प्रकरण के लिए कांग्रेस अध्यक्ष को जिम्मेदार बताते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हित को बाधित कर आम जनता की सुरक्षा को जोखिम में डालना कांग्रेस की आदत में शुमार है।
भाजपा नेता ने संभावना जताते हुए कहा कि यह सारा कुचक्र कांग्रेस अध्यक्ष के इशारे पर खेला जा रहा हो।
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कितनी सजग और सक्रिय है, देश को इसका उदहारण दो-दो सर्जिकल स्ट्राइक से पहले ही मिल चुका है। आज 90 प्रतिशत से अधिक आतंकी घटनायें घटने से पहले बेनकाब हो जाती हैं।
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Source : IANS