कांग्रेस ने रविवार को वादा किया कि स्वामीनाथन आयोग के एमएसपी के सी2 फॉर्मूले के तहत कानूनी गारंटी के साथ किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिया जाएगा।
केवल कर्जमाफी ही नहीं, पार्टी किसानों को पूरी तरह कर्जमुक्त करने और कृषि को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में भी काम करेगी। इसके अलावा, कृषि को भी उद्योग की तरह सरकारी सहायता और बैंकिंग रियायतें दी जाएंगी।
ये लक्ष्य पार्टी ने छत्तीसगढ़ की राजधानी में चल रहे अपने 85वें पूर्ण सत्र में निर्धारित किए हैं।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में गठित कृषि एवं किसान कल्याण समिति ने सत्र में अपना मसौदा पेश किया और पार्टी के सभी लक्ष्यों की विस्तृत जानकारी दी।
हुड्डा ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान सरकार की संवेदनहीनता के कारण किसान दुखी और आक्रोशित है और आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है। उन्होंने कहा, आज भारत का किसान न सुखी है, न समृद्ध। लेकिन किसान बेसहारा नहीं है, किसान गरीब नहीं है, किसान खामोश है, लेकिन अपनी आवाज नहीं खोई है। किसान सो रहा है, लेकिन मरा नहीं है। किसान का पसीना जब जमीन पर गिरता है, तब धरती मां उसे सोना बना देती है, लेकिन जब किसान का खून मिट्टी में मिल जाता है, तो एक क्रांति पैदा हो जाती है। कांग्रेस पार्टी किसानों की आवाज और पीड़ा साझा करती है।
मसौदे में कहा गया है कि किसानों की स्थिति में सुधार किए बिना देश प्रगति नहीं कर सकता और किसानों को एमएसपी का अधिकार देना सबसे महत्वपूर्ण है।
आगे कहा गया है, एमएसपी से कम कीमत पर कृषि उपज खरीदना दंडनीय अपराध होना चाहिए। इतना ही नहीं, स्वामीनाथन आयोग और तत्कालीन हरियाणा के मुख्यमंत्री हुड्डा की अध्यक्षता वाले मुख्यमंत्रियों के समूह की 2010 में सिफारिश के अनुसार सी2 लागत पर 50 प्रतिशत लाभ जोड़कर फसल की कीमत तय की जानी चाहिए।
मसौदे में कहा गया है, एमएसपी का दायरा और बढ़ाया जाए और अन्य फसलों पर भी लागू किया जाए। अदरक, लहसुन, हल्दी, मिर्च से लेकर बागवानी तक, सभी कृषि उत्पादों को गारंटीकृत मूल्य कवर मिलना चाहिए।
हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस किसानों पर कर्ज के खतरनाक बढ़ते बोझ पर चिंता व्यक्त करती है, जो कई किसानों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर रहा है। वर्तमान भाजपा सरकार के दौरान, किसानों पर कुल बकाया ऋण 31 मार्च, 2014 को 9.64 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 23.44 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यूपीए सरकार ने 2014 में किसानों के लिए 72,000 करोड़ रुपये की ऋण माफी योजना लागू की थी। वर्तमान सरकार ने इसे पूरी तरह से राज्यों पर छोड़कर इसे दरकिनार कर दिया है।
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Source : IANS