कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर मणिपुर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य सरकार द्वारा प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों को करोड़ों रुपये का भुगतान किए जाने को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताया था। मामले को निर्वाचन आयोग द्वारा नकारे जाने के बाद कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का फैसला किया है।
दरअसल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को चुनाव आयोग को शिकायत की थी कि सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (गतिविधि के निलंबन) के तहत गत एक फरवरी को उग्रवादी संगठनों को लगभग 15 करोड़ रुपये और एक मार्च को लगभग 95 लाख रुपये का भुगतान किया गया, जो आचार संहिता का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। इस प्रतिनिधिमंडल में मणिपुर के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक जयराम रमेश और वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद शामिल थे। हालांकि चुनाव आयोग ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ये आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है।
इसी को लेकर कांग्रेस ने दावा किया कि एक लंबे अंतराल करीब 18 महीने के बाद चुनाव के समय भुगतान किया गया और इससे राज्य की 11 विधानसभा सीटों पर चुनाव को प्रभावित किया गया है। कहा प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इस मसले पर शनिवार को संवाददाताओं से कहा, जयराम रमेश ने चुनाव आयोग के समक्ष मणिपुर में आचार संहिता का उल्लंघन का मामला उठाया था। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने अपने एक आदेश में कहा है कि यह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है। हम इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। हम इसे लेकर कानूनी कदम उठाएंगे।
वहीं जयराम रमेश ने भी शनिवार को ट्वीट कर कहा, निर्वाचन आयोग ने गत एक फरवरी और एक मार्च को मणिपुर सरकार की ओर से प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों को किए गए भुगतान को आश्चर्यजनक ढंग से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं ठहराया है। मैं उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर रहा हूं।
गौरतलब है कि मणिपुर विधानसभा चुनाव के दोनों चरणों के चुनाव अब सम्पन्न हो गए हैं। पहले चरण का मतदान 28 फरवरी को हुआ था। दूसरे एवं आखिरी चरण का मतदान शनिवार को संपन्न हुआ। मतगणना 10 मार्च को होगी। पार्टी ने आयोग से चुनाव दोबारा कराने की मांग की थी।
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Source : IANS