मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद ने कर्नाटक कांग्रेस में असंतोष को हवा दे दी है, जो 10 मई के विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में वापस आई है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। हालांकि, किसी ने भी इस संबंध में सामने आने और बयान जारी करने की हिम्मत नहीं की, लेकिन कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने पुष्टि की कि कैबिनेट बर्थ से चूकने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में असंतोष है।
वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी के करीबी बी.के. हरिप्रसाद एमएलसी और परिषद में विपक्ष के नेता के पद से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। वयोवृद्ध कांग्रेस नेता आर.वी. देशपांडे, जिन्होंने विधानसभा अध्यक्ष का पद स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, उन्हें भी पार्टी ने नजरअंदाज कर दिया है।
सूत्र ने बताया कि नई दिल्ली में भारी लॉबिंग के बाद भी वरिष्ठ नेता को मदद नहीं मिली। राज्य इकाई ने आरोप लगाया है कि साधन संपन्न देशपांडे ने मुश्किल समय में पार्टी की मदद नहीं की।
शिवलिंग गौड़ा, जो पूर्व पीएम एच.डी. देवगौड़ा के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठाने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए थे, सिद्दारमैया से उनके आवास पर मुलाकात के बाद कहा, मैं दुखी हूं। मैं अब कुछ नहीं बोलूंगा।
वरिष्ठ राजनेता वोक्कालिगा समुदाय से टी.बी. जयचंद्र, और धारवाड़ ग्रामीण से जीतने वाले विनय कुलकर्णी भी नाखुश हैं। विनय कुलकर्णी एक भाजपा कार्यकर्ता की हत्या के मामले में आरोपी है और वह मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के चहेता हैं।
भाजपा से कांग्रेस में आने वाले जगदीश शेट्टर और लक्ष्मण सावदी को भी मंत्री नहीं बनाया गया है, जबकि सावदी को कैबिनेट मे स्थान देने का वादा किया गया था। जगदीश शेट्टर को एमएलसी बनाने और फिर कैबिनेट में शामिल करने का वादा किया गया है।
वरिष्ठ नेता रुद्रप्पा लमानी को भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है. हमारे बंजारा समुदाय के नेता रुद्रप्पा लमानी का नाम कल रात तक सूची में था, लेकिन आज हमने देखा कि उनका नाम सूची में नहीं है।
इस घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने शनिवार को मीडिया से पलटवार करते हुए कहा कि क्या किसी नेता ने उनसे व्यक्तिगत रूप से बात की कि वे मंत्रिमंडल विस्तार से नाखुश हैं? उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है।
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Source : IANS