कांग्रेस ने राजनीतिक खेमेबाजी के भय से हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान के राज्यसभा चुनाव के लिए रविवार को पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को महाराष्ट्र, पवन बंसल और टी.एस. सिंहदेव को राजस्थान तथा भूपेश बघेल और राजीव शुक्ला को हरियाणा का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है।
हरियाणा में कांग्रेस ने पार्टी के विधायकों को भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों द्वारा अपने समर्थन में करने की आशंका के कारण छत्तीसगढ़ में रखा है। हरियाणा में 10 जून को राज्यसभा चुनाव होना है। राजस्थान में विधायकों को उदयपुर ले जाया गया है।
हरियाणा की दो सीटों पर कांग्रेस ने अपना गणित बना रखा था, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा ने पूरा गणित बिगाड़ दिया। कार्तिकेय शर्मा को भाजपा के अलावा जेजेपी का भी समर्थन मिलने की संभावना है।
अभी हाल में कांग्रेस के विधायकों की बैठक आयोजित हुई थी लेकिन कुलदीप बिश्नोई उसमें शामिल नहीं हुए। इससे कांग्रेस को पूरा समीकरण बिगड़ने का भय सताने लगा है। हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 31 वोट हैं और एक भी वोट ही हेराफेरी पूरे मामले को बिगाड़ सकती है।
कार्तिकेय शर्मा पूर्व कांग्रेस नेता विनोद शर्मा और अंबाला की मेयर शक्ति रानी शर्मा के बेटे तथा हरियाणा के पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा के दामाद हैं। कुलदीप शर्मा कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं। कार्तिकेयर आईटीवी नेटवर्क के प्रबंध निदेशक हैं, जो न्यूज चैनल चलाता है।
कांग्रेस ने हरियाणा से अजय माकन और राजस्थान से मुकुल वासनिक, रणदीप सिंह सुरजेवाला और प्रमोदी तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया है।
इन प्रत्याशियों के चयन को लेकर पार्टी में विरोध की सुगबुगाहट पहले से ही हो रही है, क्योंकि राज्यों के विधायक दूसरे राज्यों के प्रत्याशी को अपने राज्य से खड़ा किए जाने को लेकर संतुष्ट नहीं हैं।
यह देखने वाली बात होगी कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में और अशोक गहलोत राजस्थान में किस तरह अपने विधायकों को पार्टी लाइन में रखते हैं।
महाराष्ट्र में कांग्रेस के 44 विधायक हैं और उसके पास तीन सरप्लस वोट हैं। शिवसेना और भाजपा भी चुनावी मैदान में हैं। इसे देखकर कांग्रेस ने सरप्लस वोट के गणित को सेट करने के लिए खड़गे को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।
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Source : IANS