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सुपरटेक एमरल्ड कोर्ट के दो टावर गिराने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची कंपनी

रियल ईस्टेट कंपनी सुपरटेक 31 अगस्त के आदेश में संशोधन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट इससे पहले नोएडा में बनाए गए सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट में 40 मंजिला टावरों में से दो को ध्वस्त करने का निर्देश दे चुका है

Updated on: 04 Oct 2021, 07:55 AM

नोएडा:

रियल ईस्टेट कंपनी सुपरटेक 31 अगस्त के आदेश में संशोधन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट इससे पहले नोएडा में बनाए गए सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट में 40 मंजिला टावरों में से दो को ध्वस्त करने का निर्देश दे चुका है. हालांकि अब कहा जा रहा है कि दो टावरों में से केवल एक को ही ध्वस्त करने का प्रस्ताव था. एमरल्ड कोर्ट में 40 मंजिल के 2 अवैध टावर गिराए जाने के आदेश में संसोधन की मांग के साथ दायर सुपरटेक की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दोनों टावर को  3 महीने में गिराने और खरीदारों को 12% ब्याज के साथ 2 महीने में पैसा वापस देने का आदेश दिया था. 

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के ट्विन टावर्स को गिराने का आदेश दिया था. अब सुपरटेक इसे गिरने से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को पुर्नविचार याचिका दायर की है. नोएडा में स्थित सुपरटेक की एमेरॉल्ड कोर्ट परियोजना का हिस्सा हैं. रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक लिमिटेड ने तर्क दिया है कि वह नोएडा में उसके दो 40 मंजिला टावरों को गिराने के  सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की. कंपनी ने साथ ही यह भी कहा है कि इन इमारतों का निर्माण सक्षम प्राधिकरण की मंजूरी के साथ उपनियमों के अनुरूप किया गया था.  

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कंपनी के चेयरमैन आरके अरोड़ा पहले ही कह चुके हैं कि हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं, लेकिन हमने पुनर्विचार याचिका के साथ इस मामले को दोबारा उठाने का फैसला किया है. उनका तर्क है कि इन टावरों का निर्माण भवन उपनियमों के अनुरूप सक्षम प्राधिकरण की मंजूरी के साथ किया गया था. सुपरटेक समूह अपनी परियोजनाओं के तहत 10 करोड़ वर्ग फुट क्षेत्र में निर्माण कर रहा है, जबकि एपेक्स और सियेन टावर केवल छह लाख वर्ग फुट क्षेत्र में आते हैं जो कुल पोर्टफोलियो का 0.6 फीसद है.