भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने जन्म और मृत्यु के डेटाबेस को केंद्रीकृत करने की योजना को केंद्र का अनावश्यक कदम करार दिया है। जन्म और मृत्यु का पंजीकरण राज्यों के पास ही रहना चाहिए।
पूर्व राज्यसभा सांसद और सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने गुरुवार को कहा, जन्म और मृत्यु के डेटाबेस को केंद्रीकृत करने की योजना, एक तरह से केंद्र की ओर से की जाने वाली निगरानी ही है। इसके बाद केंद्र इसे एनपीआर-एनआरसी-सीएए परियोजना, जिनका आम जनता की ओर से विरोध किया गया था।
मार्क्सवादी के पोलित ब्यूरो ने इस मामले में गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि केंद्र को राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत जन्म और मृत्यु के डेटाबेस तैयार करने के लिए कानून का प्रस्तावित संशोधन केंद्रीकरण का एक अनुचित कदम है। फिलहाल जन्म और मृत्यु का पंजीकरण राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में है।
ऐसा माना जा रहा है कि डेटाबेस तैयार करने के लिए जन्म और मृत्यु अधिनियम 1969 के पंजीकरण में प्रस्तावित संशोधन कर केंद्र सरकार एनपीआर और एनआरसी से जोड़ लेगी। इस तरह का अधिनियम संशोधन केंद्र सरकार का एक विभाजनकारी कदम है। इसके अलावा इस डेटाबेस का केंद्रीकरण केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे नारगिरकों कि निगरानी व्यवस्था की दिशा में अगला कदम है। सीपाआईएस की मांग है कि राज्यों के अधिकार क्षेत्र में जन्म और मृत्यु का पंजीकरण जारी रखा जाए।
केंद्र सरकार के अनुसार अधिनियम में एक नई धारा 3 ए को सम्मिलित करने का प्रस्ताव है, जो कहता है, रजिस्ट्रार जनरल, भारत सरकार राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत जन्म और मृत्यु के डेटाबेस को बनाएगी।
विपक्षी दल केंद्र सरकार के इसी संशोधन का विरोध कर रहे हैं।
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Source : IANS