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आतंकियों से निपटने के लिए कजाकिस्तान की सेना ले रही भारतीय सेना से स्पेशल ट्रेनिंग

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भारत और कजाकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास में जुटे हुए हैं. आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए अब भारत के साथ कजाकिस्तान की सेना भी तैयार हो चुकी है.

Updated on: 14 Oct 2019, 12:43 PM

पिथौरागढ़:

भारत अपने मित्र राष्ट्रों के साथ हर साल अलग-अलग जगह सैन्य अभ्यास करता है. क्योंकि भारत जानता है भविष्य के खतरों के लिए पहले से ही तैयार होना होगा, इसलिए कभी रूस तो कभी अमेरिका की सेना के साथ भारत के जवान अक्सर सैन्य अभ्यास करते नजर आते हैं. लेकिन आतंकवाद की बढ़ती चुनौतियां सिर्फ बड़े राष्ट्रों के लिए ही नहीं बल्कि छोटे देशों के लिए भी परेशानियां खड़ी कर रही हैं. इसीलिए भारत इन दिनों कजाकिस्तान की सेना के साथ सैन्य अभ्यास कर रहा है. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भारत और कजाकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास में जुटे हुए हैं. आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए अब भारत के साथ कजाकिस्तान की सेना भी तैयार हो चुकी है.

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पिथौरागढ़ में 3 अक्टूबर से भारत और कजाकिस्तान के बीच चौथे संयुक्त सैन्य अभ्यास काजिंद 2019 की शुरुआत हुई. संयुक्त सैन्य अभ्यास के जरिए दोनों ही देश की सेनाओं को यह सिखाया जा रहा है कि आखिर कैसे भविष्य में चुनौतियों को मिलकर खत्म करना है. भारत की ओर से राजपूत रेजीमेंट की 2 राजपूत बटालियन संयुक्त सैन्य अभ्यास में भाग ले रही है. पिथौरागढ़ की चोटियों पर इन दिनों यह जवान दिन रात पसीना बहा रहे हैं, क्योंकि आतंकवाद के लिए खुद को तैयार जो करना है. दो राजपूत बटालियन मेजर भूप सिंह बताते हैं कि संयुक्त सैन्य अभ्यास के जरिए दोनों ही देश की सेनाएं एक दूसरे के कार्य करने के तरीके और लड़ाई की प्लानिंग को सीख रही हैं.

भारत और कज़ाकिस्तान की सेना के 60-60 अधिकारी और जवान इस संयुक्त सैन्य अभ्यास में भाग ले रहे हैं. इसलिए इन्हें 30-30 की संयुक्त टुकड़ियों में बांटा गया है. जो COB-1 (कंपनी ऑपरेटिंग बेस-1) और COB 2 (कंपनी ऑपरेटिंग बेस-2) में तैनात किए गए हैं. कज़ाकिस्तान की पहली भाषा कज़ाक है और दूसरी भाषा रशियन है. ऐसे में सेना के कुछ ही अफसर अंग्रेजी बोलते और समझते हैं. कज़ाकिस्तान आर्मी के कर्नल ट्रांसलेटर की मदद से हमसे रशियन भाषा में अपना अनुभव साझा करने लगे. उन्होंने बताया कि इंडियन आर्मी के साथ ये अभ्यास बहुत गजब और रोमांच लिए हुए हैं. सैन्य अभ्यास को लेकर वो हिंदी में 'मजा आ गया' कहते नजर आए.

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बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल अजीत से हमने इस सैन्य अभ्यास को लेकर पहुंचा और उनका कहना है कि यह सैन्य अभ्यास भारत और कजाकिस्तान के बीच के संबंध को और ज्यादा बेहतर बनाएगा, क्योंकि हम अपने मित्र राष्ट्रों के साथ समय-समय पर सैन्य अभ्यास करते हैं, जिसका फायदा भविष्य में किसी भी परिस्थिति में एक साथ ऑपरेशन करने के दौरान मिलता है. 3 अक्टूबर से शुरू हुई इस संयुक्त सैन्य अभ्यास में भारत और कजाकिस्तान के जवानों ने सिर्फ ट्रेनिंग ही नहीं, बल्कि खेलों में भी एक दूसरे की टीम के रूप में प्रतिभाग किया है, जिससे हमारे बीच में संबंध और ज्यादा बेहतर बनते हैं और हम एक-दूसरे के देश की संस्कृति को समझते हैं.

कर्नल अजीत का कहना है कि म्यूजिकल नाइट के जरिए भारत के जवानों ने कजाकिस्तान के गीत और कजाकिस्तान के जवानों ने बॉलीवुड के गीत गाए जो अपने आप में बहुत सुखद और बेहतर अनुभव देने वाला है. ट्रेनिंग के बारे में बताते हुए कर्नल अजीत ने कहा कि आतंकवाद के खतरे और आतंकवादियों के तरीकों को देखते हुए इस ट्रेनिंग को पहले से ज्यादा मुश्किल किया गया है, ताकि दोनों देशों के जवान ऐसे खतरों के लिए तैयार हो सकें.

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कजाकिस्तान में भले ही आतंकवाद कोई चुनौती नहीं है, लेकिन कजाकिस्तान भी अपने देश में भीतरी संघर्ष से गुजर रहा है. कई अलग अलग ग्रुप कजाकिस्तान में अक्सर सेना को चुनौती देते रहते हैं. इसलिए कजाकिस्तान के लिए भी यह ट्रेनिंग बहुत ज्यादा जरूरी है, जिसमें वो लड़ने का हर तरीका सीखते हैं. कज़ाकिस्तान आर्मी के मेजर एरिक का कहना है कि ट्रेनिंग में वो भारत की संस्कृति से लेकर भारत की फौज को भी जान रहे हैं. बॉलीवुड उन्हें बचपन से पसंद है.

बता दें कि कजाकिस्तान 1991-92 में सोवियत संघ से अलग हुआ.बावजूद इसके क्षेत्रफल की दृष्टि से यह पूरे विश्व में 9वें स्थान पर मौजूद है. कहा जाता है कि कजाकिस्तान ने पूरे विश्व को घुड़सवारी और घोड़े के पालन से अवगत कराया. कजाकिस्तान के अधिकतर खेलों में घोड़े का प्रयोग किया जाता. कजाकिस्तान के लोग मांस के तौर पर भी घोड़े का प्रयोग करते हैं. कजाकिस्तान की राजधानी नूरसुल्तान है, लेकिन इसका प्रसिद्ध शहर अल्माटी है, जो सेब के लिए प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि सेब की खेती अल्माटी से ही शुरू हुई थी.