केरल के माओवादी नेता अल्लुंगल श्रीधरन का शुक्रवार को इडुक्की जिले में मौत हो गई। उसे 24 नवंबर, 1968 के पुलपल्ली पुलिस थाने पर हमले (केरल) का मास्टरमाइंड माना जाता था।
श्रीधरन ने अपना नाम बदलकर मावडी थंकप्पन कर लिया था और पुलिस थाने पर हुए हमले के बाद केरल के ऊंचे इलाके थोडुपुझा में रह रहा था। एक वारदात के बाद पुलपल्ली जंगल में भागते समय वह पकड़ा गया था। उसे अजिता, फिलिप एम. प्रसाद और अन्य माओवादी नेताओं के साथ पुलिस की क्रूर पिटाई का सामना करना पड़ा, जबकि उसके साथी वर्गीस को पुलिस ने गोली मार दी थी।
एक मामले में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद वह इडुक्की जिले में भूमिगत हो गया और वहां एक अलग नाम से बस गया। उसकी पत्नी और दो करीबी दोस्तों को छोड़कर कोई नहीं जानता था कि इलायची के बागानों में काम करने वाला साधारण खेतिहर मजदूर बहुत बड़ा विद्रोही था।
पराथोड के माकपा के स्थानीय सचिव जीजी वर्गीज ने आईएएनएस को बताया, हमें नहीं पता था कि अल्लुंगल हमारे साथ थे। वह माकपा से जुड़े थे और कई साल तक पार्टी की स्थानीय समिति में थे। उनके निधन की सूचना उनके करीबी दोस्त ने पार्टी को दी और हमने अजिता को संदेश दिया, जिन्होंने पूर्व फायरब्रांड नेता को तुरंत पहचान लिया।
बाद के वर्षो में श्रीधरन ने छोटी इलायची का एक बागान खरीदा और अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ सादा जीवन गुजार रहा था। 86 वर्ष की उम्र में अधिक आयु संबंधी बीमारियों के कारण उसका निधन हो गया।
18 साल की उम्र में हमले में भाग लेने वाली अजिता ने आईएएनएस को बताया, अल्लुंगल श्रीधरन एक साहसी साथी थे, जिन्होंने 1968 में मालाबार विशेष पुलिस शिविर पर हमले में भाग लिया था। हम उस घटना के बाद उनके संपर्क में नहीं थे और नहीं जानते थे कि वह जीवित थे या मर गए थे।
वायनाड के पुलपल्ली में मालाबार स्पेशल पुलिस कैंप पर हमला केरल में किया गया पहला छापामार हमला था।
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Source : IANS