प्रदर्शनकारियों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी में श्रीलंकाई राष्ट्रपति विक्रमसिंघे

प्रदर्शनकारियों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी में श्रीलंकाई राष्ट्रपति विक्रमसिंघे

प्रदर्शनकारियों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी में श्रीलंकाई राष्ट्रपति विक्रमसिंघे

author-image
IANS
New Update
COLOMBO, April

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति के तौर पर गुरुवार को संसद के समक्ष शपथ लेने वाले रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री कार्यालय पर कब्जा करने वाले प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करने की ठानी है।

Advertisment

बुधवार को संसद में 134 मतों के साथ चुने गए विक्रमसिंघे ने कहा, लोगों के संघर्ष में शामिल होने की आड़ में राष्ट्रपति कार्यालय और प्रधानमंत्री कार्यालय पर जबरन कब्जा करना अवैध है।

उन्होंने संकल्प लिया है कि राष्ट्रपति और पीएम के कार्यालयों पर जबरन कब्जा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।

विक्रमसिंघे ने पार्टी नेताओं को सूचित किया कि वह नई औपचारिक शुरुआत के लिए 24 घंटे के लिए संसद का सत्रावसान करने का इरादा रखते हैं।

प्रदर्शनकारियों ने विक्रमसिंघे के खिलाफ एक नया विरोध शुरू किया था और दावा किया था कि वे उनके राष्ट्रपति पद को स्वीकार नहीं करेंगे। ये वही प्रदर्शनकारी है, जिन्होंने तीन महीने से अधिक समय तक राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवेश द्वार पर कब्जा जमाए रखा। उन्होंने 9 जुलाई को एक हिंसक झड़प के साथ राष्ट्रपति कार्यालय पर कब्जा कर लिया और 13 जुलाई को प्रधानमंत्री कार्यालय पर भी अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया।

प्रदर्शनकारी विक्रमसिंघे को अपदस्थ राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के सहयोगी के रूप में देखते हैं और उनका आरोप है कि उनके लिए वोट करने के लिए कई सांसदों को खरीदा गया है।

जैसे ही विक्रमसिंघे चुने गए, पुलिस को गाले फेस ग्रीन में कब्जे जमाए प्रदर्शनकारियों के तंबू हटाने के लिए अदालत का आदेश मिल गया।

विक्रमसिंघे के चुने जाने के कुछ घंटे बाद, मुख्य विरोध स्थल के करीब राष्ट्रपति सचिवालय के प्रवेश द्वार पर एकत्र हुए प्रदर्शनकारियों ने घोषणा की कि जब तक विक्रमसिंघे को हटा नहीं दिया जाता, तब तक अंतहीन विरोध जारी रहेगा।

बिना ईंधन, भोजन और दवा के बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंकाई लोग 31 मार्च को सड़कों पर उतर आए थे। वे यह मांग करते हुए अपना प्रदर्शन जारी रखे हुए थे कि जब तक सरकार चला रहे नेतागण अपनी कुर्सी नहीं छोड़ देते तब तक वे अपना विरोध जारी रखेंगे। इसी दबाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके मंत्रिमंडल ने 9 मई को, जबकि 9 जुलाई को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की भी इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी।

13 मई को तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफा देने के बाद देश के प्रधानमंत्री के रूप में विक्रमसिंघे को नियुक्त किया था। यह राजनीतिक संकट ऐसे समय पर सामने आया, जब देश आर्थिक संकट से निपटने की कोशिश कर रहा है।

गोटबाया राजपक्षे के संकटग्रस्त देश से भाग जाने के बाद, विक्रमसिंघे को देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया था।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
Advertisment