पाकिस्तान के कोयला आयात प्रतिबंध का दक्षिण अफ्रीका पर पड़ेगा असर
पाकिस्तान के कोयला आयात प्रतिबंध का दक्षिण अफ्रीका पर पड़ेगा असर
नई दिल्ली:
भारत के साथ राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान या एनडीसी को अपडेट किया जाना है, जैसा कि लगभग 200 देशों के लिए अनिवार्य है। इस बीच, पड़ोसी पाकिस्तान ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के पेरिस समझौते के लिए विशेष रूप से कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों से उत्सर्जन को कम करने की घोषणा की है।पाकिस्तान ने कोयले के आयात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है, जिसका लगभग 73 प्रतिशत असर दक्षिण अफ्रीका पर पड़ेगा।
पनबिजली के पक्ष में दो नए कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों की योजना को ठंडे बस्ते में डालकर, पाकिस्तान ने 2030 तक 60 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा और 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों को स्थानांतरित करने की प्रतिबद्धता की भी घोषणा की है।
जलवायु वातार्कारों ने आईएएनएस को बताया कि पाकिस्तान के एनडीसी अपडेट में आयातित कोयले पर पूर्ण प्रतिबंध शामिल है।
चूंकि पाकिस्तान ज्यादातर दक्षिण अफ्रीका से आयात करता है, इसका मतलब है कि 11 मिलियन टन का निर्यात बाजार अब बंद हो गया है। दक्षिण अफ्रीका के कोयले का सोलह प्रतिशत 2020 में पाकिस्तान को निर्यात किया गया था।
पाकिस्तान के अपडेट किए गए एनडीसी पर प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन की कार्यकारी सचिव पेट्रीसिया एस्पिनोसा ने शनिवार को ट्वीट किया, मैं पाकिस्तान द्वारा एक अपडेट किया हुआ और उन्नत एनडीसी पेश किए जाने का स्वागत करती हूं।
2030 तक 60 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा और 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों को स्थानांतरित करने और आयातित कोयले पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की आपकी प्रतिबद्धता को देखकर प्रसन्नता हुई।
अपडेट किए गए एनडीसी के अनुसार, पाकिस्तान 2030 तक अपने अनुमानित उत्सर्जन में कुल 50 प्रतिशत की कमी का संचयी महत्वाकांक्षी सशर्त लक्ष्य निर्धारित करना चाहता है, जिसमें देश के अपने संसाधनों से 15 प्रतिशत और अंतर्राष्ट्रीय अनुदान के प्रावधान के तहत 35 प्रतिशत यानी केवल ऊर्जा संक्रमण के लिए 101 अरब डॉलर की जरूरत होगी।
लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान का लक्ष्य 2030 तक 60 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा, और 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों को स्थानांतरित करना और आयातित कोयले पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना है।
इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान की वित्तीय जरूरतें अभी भी ऊंची बनी हुई हैं, क्योंकि देश में जलवायु परिवर्तन की चपेट में है और अर्थव्यवस्था को डीकाबोर्नाइज करने के लिए पूंजी-गहन संक्रमण है।
पाकिस्तान ने पहले ही बाजार और गैर-बाजार-आधारित दृष्टिकोणों की पहचान कर ली है, ताकि फंडिंग स्रोतों में विविधता लाने में मदद मिल सके, जिसमें नेचर परफॉर्मेस बॉन्ड, ग्रीन/ब्लू बॉन्ड, कार्बन प्राइसिंग इंस्ट्रूमेंट्स आदि शामिल हैं।
कोयले के मुद्दे पर पाकिस्तान का कहना है कि 2020 से नए कोयला बिजली संयंत्र स्थगित हैं और आयातित कोयले के माध्यम से बिजली के उत्पादन की अनुमति नहीं दी जाएगी, पनबिजली के लिए कोयले से चलने वाले दो नए बिजली संयंत्र लगाने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।
कहा गया है कि स्थानीय थार कोयला खदानों सहित अपेक्षाकृत नई कोयला बिजली परियोजनाओं को खरीदने पर 18 अरब डॉलर की अनुमानित लागत आएगी।
पाकिस्तान में उद्योग की बढ़ती मांग और 2018 से कोयला बिजली उत्पादन की शुरुआत को पूरा करने के लिए पिछले पांच वर्षो में कोयले की खपत तीन गुना बढ़कर 2.15 लाख टन प्रतिवर्ष हो गई है।
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