बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सलाहकार के तौर पर प्रशांत किशोर की नियुक्ति किये जाने में कुछ भी गलत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने पीके की सलाहाकर के तौर पर की गई नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री किसी भी व्यक्ति को अपने सलाहकार के तौर पर नियुक्त कर सकते हैं। साथ ही उसे वेतन का भुगतान कर सकते हैं।
प्रशांत किशोर को बिहार के मुख्यमंत्री के सलाहकार के तौर पर की गई नियुक्ति के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि कि प्रशांत किशोर को एडवाइजर के साथ-साथ राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। ऐसी नियुक्तियों पर जनता का पैसा इस्तामाल नहीं किया जा सकता है।
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याचिका में ये भी कहा गया था कि अप्रत्यक्ष रूप से उस नियम के खिलाफ है जिसके अनुसार मंत्रिपरिषद 15 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता। मुख्यमंत्री के पास पूरा तंत्र होता है, ऐसे में वो प्रशांत किशोर को इस तरह नहीं रख सकते।
चीफ जस्टिस जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले में दखल देने से मना कर दिया। चीफ जस्टिस ने कहा, 'मुख्यमंत्री को अगर किसी व्यक्ति में भरोसा है, तो कोर्ट इसमें दखल नहीं देगी। उन्हें अपना सलाहकार चुनने का पूरा अधिकार है।'
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Source : News State Burau